himanshu mittra Tag: मुक्तक 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid himanshu mittra 26 May 2017 · 1 min read चार लाइनें ढल गया दिन अब शाम हो गई है हसरते सब नाकाम हो गई है गुज़ार दी जिंदगी यूहीं हमने ख़ास थी जो अब आम हो गई है यादो की रुसवाई... Hindi · मुक्तक 237 Share