Vishnu Prasad 'panchotiya' Tag: कविता 66 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 Apr 2022 · 1 min read ग्रीष्म ऋतु भाग ४ दोपहरी आते ही धरा कण अग्निकुंड रूप धरने लगे है। देहाती जन के दिन अब तो आम्र की छांव में कटने लगे हैं। वन प्राणी सब किरिन्दरा व बरगद जल... Hindi · कविता 1 787 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 Apr 2022 · 1 min read ग्रीष्म ऋतु भाग ३ निर्झर से जल हुआ विलुप्त है तटनी प्रवाह भी मन्द पड़ा है। वन प्राणी झुंड तृष्णा मिटाने नए जलस्रोत की खोज में चला है। पुष्प रसपान वाला मधु झुंड भी... Hindi · कविता 2 1k Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 Apr 2022 · 1 min read ग्रीष्म ऋतु भाग २ हरे भरे आम की बगिया में केरी के गुच्छे लगने लगे हैं। पलाश हुआ है बेरंग पर नीम के रंग अब जमने लगे हैं। पतझड़ जंगल बिन पत्ते वृक्ष त्यागी... Hindi · कविता 1 926 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 14 Apr 2022 · 1 min read ग्रीष्म ऋतु भाग 1 भोर काल में देश धरा पर कोयल की कुहू हो रही है। मधुर सप्त स्वर रागिनी सबको प्रभात काले जगा रही है। बसंत अपनी छटा समेटे अपने घर को जा... Hindi · कविता 1 911 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 18 Mar 2022 · 1 min read होली आई होली आई होली आई रंग बिरंगी खुशियाँ लाई । नई-नई तरंगे लाई नई नई उमंगे लाई। बसंत की भी रौनक आई प्रकृति रंग बिरंगी छाई। रंग-बिरंगे पुष्प खिलाई। नए साल... Hindi · कविता 2 298 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 6 Mar 2022 · 1 min read ऋतुराज का हुआ शुभारंभ चली बहारे सर-सरासर शीतल-शीतल मध्यम- मध्यम तन अंतर छू जाती अन्दर मंगल बेला छाई उपवन ऋतुराज का हुआ शुभारंभ। वन पलास केसरिया छाया बोर आम्र ने मन बहलाया प्रकृति नूतन... Hindi · कविता 5 3 587 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 25 Dec 2021 · 1 min read 'तुझे अकेले चलते जाना' (छायावाद) तू अकेला चल बटोही तुझे अकेले चलते जाना। बस केवल इतना समझ ले कहाँ पर है तेरा ठिकाना। रास्ता यह बड़ा कठिन है चलने के दिन लेकिन कम है दूर... Hindi · कविता 5 7 652 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 11 Dec 2021 · 1 min read अन्तर्बल है हृदय में व्याप्त सबके एक बल जो अन्तर्बल। हर हताशा दूर करता हर निराशा दूर करता अथाह दुःख मझधार में हौसला न कम करता हे मनुष्य तुझे उसी पर... Hindi · कविता 4 4 359 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 24 Nov 2021 · 3 min read क्योंकि मैं किसान हूँ। धरती की संतान हूँ देश का अभिमान हूँ भारत की मैं शान हूँ क्योंकि मैं किसान हूँ दिन हो या रात हो या दोपहर की ताप हो। ग्रीष्म या बरसात... Hindi · कविता 4 4 762 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 Nov 2021 · 2 min read 'कर्म कर' (छायावाद) संसार में जिससे नाम हो जीवन में ऐसा काम कर। सुकर्म से जीवन लकीर को खींचता तू आगे बढ़। अपने ठोस इरादों के शस्त्रों से समस्याओं को चीरता चल। जीवन... Hindi · कविता 4 5 602 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 31 Oct 2021 · 1 min read 'सरदार' पटेल किया भारत अखंड जिसने करके रियासतों का मेल रहे विश्वास पर जो दृढ़ कहलाए वह 'सरदार' पटेल। दी जिसने कर्म की शिक्षा देश के नौजवानों को। जा कर बारडोली में... Hindi · कविता 5 4 494 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 26 Oct 2021 · 2 min read 'दुनिया की आदिशक्ति हूँ' (वीर - रस) स्त्री हूँ पर निशक्त नहीं हूँ दुनिया की आदिशक्ति हूँ। ना मुझको अबला समझना ना समझना तुम नादान। जीवन जीना मुझे भी आता वीरांगनाओं के समान। बहुत पीड़ा सहन... Hindi · कविता 8 5 497 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 19 Oct 2021 · 1 min read शरद ऋतु ( प्रकृति चित्रण) आज शरद निशा की चांदनी की छटा निराली है। धरती की सुंदरता हृदय को भाने वाली है। स्वच्छ - निर्मल नभ मंडल में, तारे उज्जवल चमक रहे हैं झिलमिल करते... Hindi · कविता 8 5 1k Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 Oct 2021 · 1 min read 'फूल और व्यक्ति' फूल को देखिए, खुशबू को लीजिए। व्यक्ति को न देखिए, गुणों को लीजिए। फूल के कई हे रंग व्यक्ति के कई हे ढंग रंगों को लीजिए न कि ढंगो को... Hindi · कविता 8 6 1k Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 3 Oct 2021 · 2 min read 'एक कहानी हिंदुस्तान की कहता हूँ' एक कहानी मैं अपने हिन्दुस्तान की कहता हूँ। भारतवर्ष का हूँ निवासी भारत वर्ष सजाता हूँ। पुण्य भूमि यह भारत भूमि देवभूमि कहलाती है। विश्व की यह महाशक्ति विश्व को... Hindi · कविता 10 5 479 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 2 Oct 2021 · 1 min read बढ़े चलो (वीर रस) हिमाद्री विंध्य श्रृंग से, सागर हिन्द तरंग से, रेगिस्तान की रेत से, वनाच्छादित प्रदेश से, मांँ भारती पुकारती, भारत शीश हिमेश से। प्रचंड अग्नि भर हृदय, तुम दुश्मनों पर टूट... Hindi · कविता 7 3 659 Share Previous Page 2