Gyanendra singh kushwaha Tag: कविता 6 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Gyanendra singh kushwaha 11 Jun 2020 · 1 min read हिन्दुओ के प्रति एक आतंकी की सोच। उलझे रहो तुम जातियों में.... उलझे रहो तुम धर्म के व्यापार में.. इक दिन गुलाम फिर बनाएंगे। तुम आपस मे ही लड़ते रहोगे, हम तुम्हारा फायदा उठाएंगे। तुम ब्राम्हण,क्षत्रिय,वैश्य,शूद्र करते... Hindi · कविता 5 3 699 Share Gyanendra singh kushwaha 24 Nov 2018 · 1 min read आज का कड़वा सत्य माँ के प्रति बेटे और बहू का रवैया.... ओ माँ जिसने तुझे जन्म दिया.. बचपन से तुझको प्यार किया.. पाल पोस के बड़ा किया.. तुझे बड़ा ऑफिसर बना दिया.. एक दिन उसने सादी कर दी .. घर मे... Hindi · कविता 4 1 516 Share Gyanendra singh kushwaha 18 Nov 2018 · 1 min read भरोसा करना है, मुझे... जिंदगी जीना है, मुझे... आगे बढ़ना है, मुझे.. मगर क्या करूँ? भरोसा करना है, मुझे... एक नहीं इस दुनिया मे हज़ार मिलेंगे... भरोसा तोड़ने वाले... मगर क्या करूँ ? फिर... Hindi · कविता 1 539 Share Gyanendra singh kushwaha 17 Nov 2018 · 1 min read सच्ची नादान लड़की .. प्यारी सी सुंदर लड़की है... जो अपनो पे भरोसा करती है... सबका सम्मान तो करती है.. लेकिन ओ बड़ी नादान है.. उसे अच्छे बुरे, का ज्ञान नहीं... हर वक्त बड़ी... Hindi · कविता 1 576 Share Gyanendra singh kushwaha 16 Nov 2018 · 1 min read माँ..... एक तुम ही तो हो.. अपना सुख त्याग के.. दिन रात मेहनत करती हो.. पल्लू में रह के गोबर की,टोकरी उठाती हो.. तपती गर्मी में चुल्हे में खाना बनाती हो..... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 24 589 Share Gyanendra singh kushwaha 16 Nov 2018 · 1 min read तुम कैसे हिंदुस्तानी हो.... कभी धर्म नाम ,कभी जाती नाम... कभी भगवा रंग ,तो कभी हरा रंग,कभी लाल रंग ,कभी पीला.. तुम कैसे हिन्दुस्तानी हो.... जो आपस में ही लड़ते हो। शहीदों की बलिदानी... Hindi · कविता 2 2 401 Share