कवि गोपाल पाठक''कृष्णा'' Tag: कविता 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid कवि गोपाल पाठक''कृष्णा'' 19 May 2020 · 1 min read इस्लाम में थोड़े मंसूर होते दूर तुम भी न होते न हम दूर होते। इश्क में क्यों भला आज मजबूर होते।। महफिलों से निकाला न जाता कभी मै । फैसले हर तरह के जो मंजूर... Hindi · कविता 3 2 495 Share कवि गोपाल पाठक''कृष्णा'' 10 Apr 2020 · 1 min read मां सरस्वती की वंदना ज्ञान का दीपक जला ये मोह माया मार दे। ले बना चरणों का सेवक मातु मेरी शारदे।। कर मेरा कल्याण माता भाग्य रेखा खीच दे। ज्ञान गुण देने का माता... Hindi · कविता 763 Share कवि गोपाल पाठक''कृष्णा'' 9 Apr 2020 · 1 min read मत ठहरना एक पल भी पैर अपना रोककर मत ठहरना एक पल भी पैर अपना रोककर। जीत लोगे तुम जहां को नेक ताकत झोंककर।। तुम विरोधी से कभी भी एकपल डरना नहीं। सोच लेना क्या करेंगे ऐसे कुत्ते... Hindi · कविता 2 384 Share कवि गोपाल पाठक''कृष्णा'' 31 Jul 2018 · 1 min read आज वक़्त का साथ मिला है आज वक़्त का साथ मिला है तो इतना न इतराओ। तुम कोई सम्राट नहीं हो खुदको इतना समझाओ। आसमान को चूमने वाले ऐसा न हो न लौटो। एक मशविरा है... Hindi · कविता 312 Share कवि गोपाल पाठक''कृष्णा'' 31 Jul 2018 · 1 min read खुद्दार कविता राह मैंने ढूंढ ली है टोंककर भी क्या करोगे। बन गया हूं मै हवा अब रोककर भी क्या करोगे।। अब जुबां खामोश करलो रोकना बस में नहीं। आज हाथी जा... Hindi · कविता 886 Share कवि गोपाल पाठक''कृष्णा'' 31 Jul 2018 · 1 min read तिलमास की घटना पर ::-तिलमास की घटना पर::- ----------------------------------------------- आज कलम को रोना आया अपने ही अहसास पर। राज व्यवस्था कुछ लोगों ने आज रखी है ताक पर।। गाना गाकर दारू पीकर बेखुद होकर... Hindi · कविता 399 Share कवि गोपाल पाठक''कृष्णा'' 9 Jan 2018 · 1 min read दुखी हूँ मन से फिर भी मिल रहा हूँ ! दुखी हूँ मन से फिर भी मिल रहा हूँ ! मै दिया हूँ इसलिये ही ज़ल रहा हूँ !! कभी मिल ही जायेगी मंजिल मुझे ! आज तक इसीलिये ही... Hindi · कविता 1 714 Share कवि गोपाल पाठक''कृष्णा'' 12 Dec 2017 · 1 min read इतना भी क्यूँ याद आता है तू इतना भी याद क्यूँ आता है तू इतना भीमुझे क्यूँ रुलाता है तू मोहब्बत तो तू भी करता है मुझसे आखिर क्यूँ छुपाता है तू मेरी जिन्दगी में तू ही... Hindi · कविता 484 Share कवि गोपाल पाठक''कृष्णा'' 15 Apr 2017 · 1 min read लिखते रहते है गुल तो गुलशन में रोज खिलते रहेते है कभी नए तो कभी पुराने मिलते रहते है तुम भी कदर् करो क्यों आखिर मेरे इन जज्वातो की कितने तुमको गोपाल जैसे... Hindi · कविता 388 Share