Sushil chauhan 39 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Sushil chauhan 27 Oct 2022 · 1 min read उम्मीद तुम अपने गम भुला कर तो देखो दोस्ती के हाथ बढ़ा कर तो देखो दुःखी तो बहुत बार हुए बिना बात मुस्कुरा कर तो देखो भाई भाई मे झगड़े तो... Hindi · कविता 2 1 414 Share Sushil chauhan 25 Oct 2022 · 1 min read शक हर दिन शक की निगाह से देखा कर न मुझे मैं तेरा हूं मैं तेरा ही रहूंगा तू शक न कर मुझ पे मैं सच कहता हूं तो तुम्हें झूठ... Hindi · कविता 2 391 Share Sushil chauhan 22 Jun 2022 · 1 min read सावन सावन की बूंदे जब बरसती होगी दिल ही दिल में वह मुझे याद करती होगी मेरी यादों में वो सो न सकी होगी रात भर वह बिस्तर पर करवटें बदलती... Hindi · कविता 2 407 Share Sushil chauhan 18 Jun 2022 · 1 min read इंद्रधनुष सूरज की रोशनी बिंदो पर पड़ती है । तब सात रंग का इंद्रधनुष दिखाई पड़ती है। पूरी प्राकृति सुंदरता की चादर में लिपट जाता है जब एक तरफ छोटे बूंदे... Hindi · कविता 3 1 1k Share Sushil chauhan 13 Jun 2022 · 1 min read चंद सांसे अभी बाकी है टूट चुका हूं खटते खटते बिखरना अभी बाकी है। चंद सांसे अभी हैं। जिसका जाना अभी बाकी है। मौत रोज हमें सिरहाने खड़ी हो कर पूछती है। आजा भाई क्या... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 5 3 509 Share Sushil chauhan 11 Jun 2022 · 1 min read मेहनत मेहनत करने वाले कभी भूखे नहीं मरते, और बुरी नियत वालों के कभी पेट नहीं भरते यू टुकुर टुकुर देख कर यूं ही, जलते रहते हैं और मेहनत करने वाले... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 4 1 435 Share Sushil chauhan 10 Jun 2022 · 1 min read संघर्ष मैं थका जरूर हूं। पर हरा नहीं हूं। मुझ में हिम्मत अभी बाकी है। मैं असफल जरूर हुआ हूं।। पर संघर्ष करना अभी बाकी है। असफलता तो जिंदगी का हिस्सा... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 6 9 776 Share Sushil chauhan 8 Jun 2022 · 1 min read पैसा पैसे की भूख ऐसी लगी कि कमाने निकल गए । जब पैसा मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए। बच्चों के साथ रहने की फुर्सत न मिल सकी। जब फुर्सत... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 5 3 935 Share Sushil chauhan 23 Apr 2022 · 1 min read पिता पिता होना आसान नहीं होता। ना होते तो मेरा जन्म नहीं होता। पिता परिवार का वो छत है जो बारिश और धूप का दीवार बने होते हैं। घर के हर... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 7 15 450 Share Previous Page 2