Er.Navaneet R Shandily Language: Hindi 58 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Er.Navaneet R Shandily 21 Jul 2022 · 1 min read सावन में साजन को संदेश धरती है श्रृंगार सजाएं ऋतु सावन बहार में मैं भी प्यासी, तड़प रही हूं साजन तेरे प्यार में मंद मंद ए, पुरवा हवाएं छूकर दर्द बढाती है रिम झीम मेघ,... Hindi · कविता 1 422 Share Er.Navaneet R Shandily 10 Apr 2022 · 1 min read आदर्श ग्राम्य पराकाष्ठा अपरूप लिए, ग्रामीण सजा है भव्य प्राण प्रतिष्ठा बसे हमारे, उर ग्राम्य धर्म कर्त्तव्य अमूल्य निधि अरुणोदय की, चित चितवन सब धन्य आदर्श ग्राम्य आंचल ओढ़े, धन्य गात चैतन्य... Hindi · कविता 2 417 Share Er.Navaneet R Shandily 16 Mar 2022 · 6 min read होली पर्व उत्सव ऐतिहासिक विश्व प्रसिद्ध त्योहार होली जिसे अनेक उपनाम होलिकी, होलिका, धुलंडी, लट्ठमार होली, रंगोंत्सव, बसंतोत्सव इत्यादि नामों से संबोधित किया जाता है। हिंदुओं का प्रमुख त्यौहारों में से एक यह... Hindi · लेख 1 372 Share Er.Navaneet R Shandily 3 Mar 2022 · 1 min read सञ्जीवनी साधना विभावरी में जाग कर, तपस्या में मन साधकर चमकता हुआ ध्रुव बने, अरुणोदय सा प्रभाकर निर्वाण नीति प्रबुद्ध में, देश भक्ति है जननी चैतन्य आत्म साधना, प्रवाह धार स्रोतस्विनी निवारण... Hindi · कविता 1 268 Share Er.Navaneet R Shandily 27 Jan 2022 · 1 min read गंतव्य में पीछे मुड़े, अब हमें स्वीकार नहीं कोसू मैं भाग्य को या अपनी तकदीर को आँखों में आँसू भरूँ या देखू हस्त लकीर को वरदान माँगू हे प्रभु ए मेरा अधिकार नहीं गंतव्य में पीछे मुड़े अब... Hindi · कविता 3 1 720 Share Er.Navaneet R Shandily 31 Dec 2021 · 1 min read शीतलहर के हलकोरों में, नव वर्ष नहीं मनाया जाएगा खेतों की हरियाली सहमी, सहमी किसानों की नरमी है पेड़ों से पत्ते भी गिरते है, बाखर की तुलसी सहमी है झूलसे है अरहर के फूले, वसंत की छूटी अंगड़ाई है... Hindi · कविता 1 200 Share Er.Navaneet R Shandily 10 Dec 2021 · 1 min read भारत के वीर जवानों से अमर रहे, तू अमर रहे, जन-शक्ति के नारों से कश्मीर हमारा घायल था, आवैसी गद्दारों से हाथों में संगीन उठाके, बदला लिए हत्यारों से छाती में आग ध-धकता था, आतंकों... Hindi · कविता 2 2 617 Share Er.Navaneet R Shandily 9 Nov 2021 · 1 min read नक्षत्र निशा सोम सितारे नक्षत्र निशा सोम सितारे अर्चि, उद्विग्न हृदय हमारा है चार कोश की दूरी भी अब, शत योजन सा किनारा है प्राची दिस में नभ अवलोकन, प्रहर तीन तक जागा है... Hindi · कविता 1 359 Share Previous Page 2