डॉ० रोहित कौशिक Tag: लोग 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ० रोहित कौशिक 29 Jan 2024 · 1 min read क्यों अब हम नए बन जाए? क्यों न अब हम नये बन जाएँ? त्यागे याग,पुरा'णी'बातें, रियाज-मिज़ाज, बुनियादी यादें । हाँ-हाँ उनमें, है बर्ताव कटु, बेहिसाब आँसू , बदनसीब 'सकू*, इन्हें विष मानकर ,छोड़ते जाएं। क्यों न... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · खुद से बातें · पुराने संदर्भ · लोग · संसार 1 164 Share