DrRaghunath Mishr Tag: ग़ज़ल/गीतिका 20 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid DrRaghunath Mishr 19 Aug 2017 · 1 min read ग़ज़ल तेरी आँखों की गहराई,मुझे पागल बना देगी. तेरे चेहरे की सुन्दरता,मुझे घायल बना देगी. हमारे बीच की ए गुफ़्तगू,कुछ ख़ास लगती है. तेरी बातों की रुन्झुन ही,तेरा पायल बना देगी.... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 341 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read गीतिका जीना -जीकर मर जाना , भैया यह क्या बात हुई. कठिन समय में डर जाना,भैया यह क्या बात हुई. कोई मरे कुपोषण से, कोई अतिशय खा -पी कर, प्रश्न टाल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 314 Share DrRaghunath Mishr 7 Feb 2018 · 1 min read ग़ज़ल पकड़ के रखना कस के यारो, आस और विश्वाश. कुछ भी कर देने से पहले, कर लो पूर्वाभ्यास. भ्रम मत पालो एक न होंगे,धरा-गगन सदियों तक, दशा बनालो खुद हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 475 Share DrRaghunath Mishr 1 Dec 2017 · 1 min read ग़ज़ल: जो बिखर गई थी टुकड़ों में, बोटी जनता की थी वह। छीना -झपटी से जो लूटा, रोटी जनता की थी वह। पानी के नल की तोड़ी जो,बस्ती सारी प्यासी है,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 570 Share DrRaghunath Mishr 26 Oct 2017 · 1 min read ग़ज़व मोहब्बत का जादू, असरदार होता, अगर दिल तुम्हारा,ख़बरदार होता। ए दुनियां कसम से,बहुत ख़ूब होती, अगर दिल का कमरा,हवादार होता। ख़ूबसूरत ग़ज़ल, कह गए हैं चितेरे, मज़ा उसको आता,जो हक़दार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 311 Share DrRaghunath Mishr 26 Oct 2017 · 1 min read गीतिका *मापनी मुक्त गीतिका* *समान्त:डरना * *पदान्त:क्या * किया नहीं कुछ बुरा अगर,तो डरना क्या। मस्त जियो यूँ रोज-रोज, फिर मरना क्या। सुनता नहीं जनम से है, गूंगा- बहरा- बेदर्द, है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 360 Share DrRaghunath Mishr 9 May 2017 · 1 min read ग़ज़ल जीभ से जो हुआ, जख़्म भरता नहीं। दिल हो जब उदास, धीर धरता नहीं। अवसान की बात,पकड़ो न अभी बस, सुनहरा अवसर,कभी ठहरता नहीं। कर्म भारी हमेशा,रहा शब्द से, शब्द... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 666 Share DrRaghunath Mishr 14 Mar 2017 · 1 min read गीतिका: बड़े - बड़ों को, आइना दिखा दिया हमने. हँसना - रोना, व गाना सिखा दिया हमने. कल तलक, जिन्हें मालूम नहीं थीं राहें, आज उनको भी, चला -हिला दिया हमने.... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 371 Share DrRaghunath Mishr 16 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल जला है दिया, अब अंधेरा हटेगा. सुखों पर लगा है,वो पहरा हटेगा. शिकंजे में थीं चन्द, लोगों के खुशियाँ, आम लोगों से, ज़ुल्मों का डेरा हटेगा. है यह देश सबका,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 315 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल: चिराग लेके मैं खुद ही को, खोजता यारो । कर्ज़ के बोझ पे दिन-रात,सोचता यारो। ज़ुल्म की आंधियों के बीच है,हॅसना सीखा, सितम पे होके मैं बेखौफ,बोलता यारो। बन्द सदियों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 266 Share DrRaghunath Mishr 5 Dec 2016 · 1 min read हर्गीतिका हरगीतिका-एक प्रयास: मात्रा भार 28 000 संसार के दुख-दर्द का है, अंत आखिर अब कहाँ। खुशियाँ बाँटें विश्व को, ऐसे हैं माहिर अब कहाँ। अवकाश लेकर बैठने में,फायदा क्या है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 330 Share DrRaghunath Mishr 5 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल 2122 2122 2122 212 मात्र भर 26 यति 14,12 क्या करूँ किससे कहूँ मैं, बात कोई ख़ास है. हर यहाँ मालिक कहे है,हर वही पर दास है. ख्वाब में कोठी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 323 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल: किसने लगाई आग, और किस -किस का घर जला. मेरे शहर के अम्न पे , कैसा क़हर क़हर चला. क्या माज़रा है दोस्त, चलो हम पता करें, इस बेकसूर परिंदे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 246 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल: ग़ज़ल: ०००० शब्द मूल्यहीन हो गया. कथ्य शिल्पहीन हो गया. कल तलक जो था नया - नया, आज वो प्राचीन हो गया. क्या तरक्कियों का दौर है, आदमी मशीन हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 199 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read तरही ग़ज़ल लगाये पंख सपनों के, गगन की हूर होती है. चले जब वक़्त का चाबुक, वही बेनूर होती है. सजाये उमर भर जिनको, निहारा नाज़ से पाला, नजर उसकी गजब हमसे,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 515 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read गीतिका: ख़ुशी देख मेरी, वे सब जल रहे हैं. फँसे जाल में वे ,हम यूँ खल रहे हैं. नहीं जानते वे,कि कल क्या है होना, इसी से बरफ में, वे खुद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 223 Share DrRaghunath Mishr 30 Dec 2016 · 1 min read ग़ज़ल बिछडे, हुए, ,मिलेँ, तो, गज़ल, होती, है. खुशियोँ, के गुल खिलेँ, त गज़ल होती है. वर्शोँ से हैँ, आलस्य के, नशे मेँ हम सभी, पल, भर अगर हिलेँ तो गज़ल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 249 Share DrRaghunath Mishr 21 Dec 2016 · 1 min read जिंदगी ग़ज़ल ग़ज़ल-------- मापनी:2222 1221 2212=21 ---------------------------- मुझको तुझसे, न कोई, गिला ज़िन्दगी। मैने जैसा, दिया है, मिला ज़िन्दगी। सारा जीवन, जिया है,महज़ माँगते, जिसके हिस्से लिखा,जो दिला ज़िन्दगी। है ए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 467 Share DrRaghunath Mishr 19 Dec 2016 · 1 min read नई गीतिका -छंद विधान सहित.27/10/16 गीतिका 000 आधार छंद: विजात 1222 1222 समान्त -आर पदांत-पढ़ लेना ------------------------------- इजारेदार पढ़ लेना. धमाकेदार पढ़ लेना. जहां की फितरतें हैं क्या, विवेकाधार पढ़ लेना. कहाँ तक राह जाती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 416 Share DrRaghunath Mishr 17 Dec 2016 · 1 min read ग़ज़ल ग़ज़ल अंतर्ध्वनि : अभी सृजित ताज़ी गीतिका: 000 ख़ुशी देख मेरी, वे सब जल रहे हैं. फँसे जाल में वे ,हम यूँ खल रहे हैं. नहीं जानते वे,कि कल क्या... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 244 Share