DrRaghunath Mishr 64 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 DrRaghunath Mishr 30 Dec 2016 · 1 min read मुक्तक सच बात है जज़्बात है. हर दिन एक, शुरुवात है. @डॉ.रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता/साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित Hindi · मुक्तक 429 Share DrRaghunath Mishr 30 Dec 2016 · 1 min read मुक्तक हों ऐसे हम खिले-खिले। हों न कभी हम हिले-हिले। नए वर्ष - अभिनन्दन में, ढहें द्वेष के सभी किले। @ डा०रघुनाथ मिश्र 'सहज' अधिवक्ता /साहित्यकार सर्वाधिकार सुरक्षित Hindi · मुक्तक 397 Share DrRaghunath Mishr 30 Dec 2016 · 1 min read ग़ज़ल बिछडे, हुए, ,मिलेँ, तो, गज़ल, होती, है. खुशियोँ, के गुल खिलेँ, त गज़ल होती है. वर्शोँ से हैँ, आलस्य के, नशे मेँ हम सभी, पल, भर अगर हिलेँ तो गज़ल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 249 Share DrRaghunath Mishr 31 Dec 2016 · 1 min read कुण्डलिया छंद ठण्ड बड़ी भारी हुई,कटत नहीं दिन रेन. कोहरा अपने चरम पर, कैसे पायें चैन. कैसे पायें चैन, फैसला कौन करे अब. जाड़े में बरसात , दिखाती हो आँखें जब. कहें... Hindi · कुण्डलिया 285 Share DrRaghunath Mishr 31 Dec 2016 · 1 min read दोहा मुक्तक द्वय 1. जाड़े का आतंक है, सन सोलह का अंत. गरीब का जीवन कठिन,गम है घोर अनंत. ऐसे में मौसम बना,जब दुःख का पर्याय, स्वाभाविक ही है बहुत, सिहरन और गलंत.... Hindi · मुक्तक 430 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read चन्द अध्यात्मिक दोहे: प्रियतम मैं जाऊं कहाँ, दिशाहीन हूँ आज. है कोई मेरा नहीं, बस तू ही सरताज. पंथ निहारूं रात - दिन,खुद का अक्स निहार. खुद से ही तुझसे कहूँ, आ भव... Hindi · दोहा 259 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read जनक छंद में तेवरी छंद विधान: मापनी: हर प्रथम पंक्ति में मात्राएँ 22 22 212 =13 हर दुसरी पंक्ति में 22 22 212, 22 22 212 अर्थात इस तरह 13,13 पर यति गंदे से... Hindi · तेवरी 346 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read गीतिका: ख़ुशी देख मेरी, वे सब जल रहे हैं. फँसे जाल में वे ,हम यूँ खल रहे हैं. नहीं जानते वे,कि कल क्या है होना, इसी से बरफ में, वे खुद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 222 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read तरही ग़ज़ल लगाये पंख सपनों के, गगन की हूर होती है. चले जब वक़्त का चाबुक, वही बेनूर होती है. सजाये उमर भर जिनको, निहारा नाज़ से पाला, नजर उसकी गजब हमसे,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 513 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read हरगीतिका- मात्रा भार 28 संसार के दुख-दर्द का है, अंत आखिर अब कहाँ। खुशियाँ बाँटें विश्व को, ऐसे हैं माहिर अब कहाँ। अवकाश लेकर बैठने में,फायदा क्या है भला, जो बात अंदर ही दबी... Hindi · कविता 316 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल: ग़ज़ल: ०००० शब्द मूल्यहीन हो गया. कथ्य शिल्पहीन हो गया. कल तलक जो था नया - नया, आज वो प्राचीन हो गया. क्या तरक्कियों का दौर है, आदमी मशीन हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 199 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read .मुक्त छंद रचना: बेटी माँ - बाप की आँखों का नूर पिता का स्वाभिमान समाज का सम्मान कल-कारखानों में खेतों-खलिहानों में दफ्तरों-विभागों में कहाँ नहीं हैं बेटियाँ हमारी फिर क्यों आखिर क्यों जवाब दे... Hindi · कविता 492 Share DrRaghunath Mishr 2 Jan 2017 · 1 min read ग़ज़ल: किसने लगाई आग, और किस -किस का घर जला. मेरे शहर के अम्न पे , कैसा क़हर क़हर चला. क्या माज़रा है दोस्त, चलो हम पता करें, इस बेकसूर परिंदे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 246 Share DrRaghunath Mishr 5 Dec 2016 · 1 min read हर्गीतिका हरगीतिका-एक प्रयास: मात्रा भार 28 000 संसार के दुख-दर्द का है, अंत आखिर अब कहाँ। खुशियाँ बाँटें विश्व को, ऐसे हैं माहिर अब कहाँ। अवकाश लेकर बैठने में,फायदा क्या है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 329 Share Previous Page 2