DR. Kaushal Kishor Shrivastava Tag: ग़ज़ल 14 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid DR. Kaushal Kishor Shrivastava 29 Jul 2023 · 1 min read फटी बनियान नई कमीज तो कुछ वद जुबानी करती है। फटी बनियान हकीकत बयानी करती है। जिन्दगी रोज मारती है शक्श को लेकिन। मौत एकदम ही आके मेहरबानी करती है तुम्हारे शोर... Hindi · कविता · ग़ज़ल 3 1 291 Share DR. Kaushal Kishor Shrivastava 13 Jul 2023 · 1 min read हज़ारों साल हज़ारों साल हज़ारों साल से ये दिन, पड़ा है रात के पीछे । सितारों की न दौलत हो, कहीं इस बात के पीछे ॥ भला कोई तुम्हें क्यों, मोतियों के... Hindi · ग़ज़ल 3 326 Share DR. Kaushal Kishor Shrivastava 1 Jul 2023 · 1 min read उदासी उदासी बादल जैसी छाई उदासी। घिर-घिर कर फिर आई उदासी।। दिन-दिन बढ़ती ही जाती है। जैसे हो मंहगाई उदासी।। सूने दिल में बजती जैसे । दूर कहीं शहनाई उदासी।। सागर... Hindi · ग़ज़ल 1 493 Share DR. Kaushal Kishor Shrivastava 28 Jun 2023 · 1 min read शब्द : एक शब्द : एक शब्द ही जिंदगी में ढलता है| शब्द काटो तो खूँ निकलता है।| शब्द जब भी चबाये जाते हैं। सुनने वालों का दिल दहलता है। कुछ इशारे भी... Hindi · ग़ज़ल 294 Share DR. Kaushal Kishor Shrivastava 26 Jun 2023 · 1 min read शराब खान में शराब खान में मुझे शैतान से बचाने में। फरिश्ते आयें रिन्द खाने में ।। जाम सांसें है वक्त पीता है। इस बदन के शराब खाने में।। नशा मेरा बहुत जरूरी... Hindi · ग़ज़ल 1 277 Share DR. Kaushal Kishor Shrivastava 24 Jun 2023 · 1 min read आग लगाते लोग आग लगाते लोग मुंह से आग लगाते लोग। जलते आते जाते लोग || मन्दिर मस्जिद टकराकर । शान्त-शान्त चिल्लाते लोग ।। सीधे सच्चे लोगों पर । लोग उँगलियाँ बहुत उठाते... Hindi · ग़ज़ल 1 261 Share DR. Kaushal Kishor Shrivastava 24 Jun 2023 · 1 min read मिले मिले चलते-चलते हमें आराम का स्थान मिले । कुछ समय के लिये ही जगह एक सुनसान मिले ।। ना कोई काम दरवाजे पे कहीं दस्तक दे । कोई पहचान न... Hindi · ग़ज़ल 1 198 Share DR. Kaushal Kishor Shrivastava 23 Jun 2023 · 1 min read मन का आंगन मन का आंगन बात अकेले पन की है। उसमें उलझे पन की है ।। उलझन में सीधा रस्ता । खोज रहे जीवन की है ।। कांटे भरे चमन में एक... Hindi · ग़ज़ल 1 374 Share DR. Kaushal Kishor Shrivastava 20 Jun 2023 · 1 min read कुछ कुछ बैचेनी थी अन्दर कुछ। उठते रहे समन्दर कुछ । । जब भी पूजन को बैठा। मन में उछले बन्दर कुछ || किस्मत क्या थी धरती थी। कुछ उपजाऊ बन्जर... Hindi · ग़ज़ल 1 306 Share DR. Kaushal Kishor Shrivastava 17 Jun 2023 · 1 min read भूखों को भूखों को भूखों को गेंहूँ की बाली दो मालिक। आगे कर दी भीड़ लुटेरों की मालिक ॥ फ़क़त वोट पर ही हक़ है मज़दूरों का । जीत नाम तो महलों... Hindi · ग़ज़ल 1 175 Share DR. Kaushal Kishor Shrivastava 16 Jun 2023 · 1 min read घने सन्नाटे में घने सन्नाटे में घने सन्नाटे में एक मुद्दा उछलना चाहिये । मुतमइन सैलाव में हलचल मचलना चाहिये ।। खुदकुशी और भूख के सब आंकड़ों को देखकर । बजीरे आजम को... Hindi · ग़ज़ल 1 80 Share DR. Kaushal Kishor Shrivastava 16 Jun 2023 · 1 min read सन्नाटा महरा है( शोर अंदर है) शोर अंदर है शोर अंदर है तो इस तरह दबाया जाए । निकल के घर से बहुत शोर मचाया जाए ॥ ये कौन बीच में मेरे तुम्हारे आता है? अज़ीज़... Hindi · ग़ज़ल 75 Share DR. Kaushal Kishor Shrivastava 15 Mar 2023 · 1 min read मुद्दा उछलना चाहिए लगता है उसका फिर बुत से टकराना लगता है । बनने वाला कोई फसाना लगता है ।। सुंदर बुत के रुख पर है नकाब ,मानो । धरती में एक गढ़ा... Hindi · ग़ज़ल 131 Share DR. Kaushal Kishor Shrivastava 14 Mar 2023 · 1 min read सारे गुनाहगार खुले घूम रहे हैं कांटे चमन में हैं हमें इंकार नहीं है | फूलों के हाथों में भी तो तलवार नहीं है || है प्यास अभी वक्त पर बरसेगी घटाएं | मौसम को आदमी... Hindi · ग़ज़ल 1 172 Share