'एकलव्य' 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid 'एकलव्य' 2 Nov 2018 · 1 min read 'माँ' तू चली गई ! कुछ डूबी-सी,उतराई-सी सुख-दुख में 'माँ' अंगड़ाई-सी। मैं 'चातक' पंक्षी-सा प्यासा 'माँ' वर्षा है मंडराई-सी। तब भूख लगी अब रोता हूँ जागा-जागा तन,सोता हूँ। वर्तमान में जीवित हूँ पर भूत के... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 25 124 1k Share