धर्मजीत वैद्य Language: Hindi 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid धर्मजीत वैद्य 22 Dec 2017 · 1 min read में रात भर लिखता रहा दर्द कागज़ पर, मेरा बिकता रहा, मैं बैचैन था, रातभर लिखता रहा.. छू रहे थे सब, बुलंदियाँ आसमान की, मैं सितारों के बीच, चाँद की तरह छिपता रहा.. दरख़्त होता... Hindi · मुक्तक 1 415 Share धर्मजीत वैद्य 31 Dec 2017 · 1 min read जाता हुआ दिसम्बर मयस्सर डोर से फिर एक मोती झड़ रहा है , तारीखों के जीने से दिसम्बर उतर रहा है कुछ चेहरे घटे , चंद यादे जुड़ी गए वक़्त में, उम्र का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 326 Share