धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 28 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read शिकायत पाक़ लहज़े में की क़िफायत है! आपसे बस यही शिक़ायत है!! जिंदगी के हसीन मौसम की! मौत ही आखिरी हक़ीक़त हैं!! दौर कैसा चला ज़माने में! आज गुम हो चुकी... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 50 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read ज़िंदगी का दस्तूर ज़िंदगी का बस यही दस्तूर है! हर ख़ुशी होती यहां क़ाफ़ूर है!! शान में अपनी रहे डूबा सदा! लोग कहते हैं बड़ा मगरूर है!! जो नहीं लेता बुज़ुर्गों की दुआ!... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 65 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read सुहाना मंज़र दर्द दिल का अब पुराना हो गया! ख़ुशनुमा मंज़र सुहाना हो गया!! आंसुओं को गर हंसी में ढ़ाल दो! लोग कहते हैं दिवाना हो गया!! नेकियां जग में कमाई हों... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 79 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read फाग फ़ाग का मौसम सुहाना आ गया! ज़िंदगी के सुर सजाना आ गया!! भूलकर मंज़र पुराने ग़म भरे! बस ख़ुशी के गीत गाना आ गया!! दिल को दिल से जोड़ता है... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 56 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read मुस्कुराने का बहाना मुस्कुराने का बहाना मिल गया ! दिलनशीं मंज़र सुहाना मिल गया !! सच कहूँ तो मोज़िज़ा ही हो गया ! आरज़ू को आबोदाना मिल गया !! ज़िंदगी से हम हुए... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 102 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read उम्र गर्दिश में हों अगर सितारे ! कैसे कोई उम्र गुज़ारे !! मुस्कानों के पीछे छिपकर ! बैठे हैं दो आँसू खारे !! बिना बुलाए ग़म के मन्ज़र ! आ जाते... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 57 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read वफा हर किसी से वफा कीजिए ! साथ सबके चला कीजिए ! ज़िंदगी ग़मज़दा हो गयी ! इक खुशी का पता कीजिए !! दिल खिलौना नहीं है मगर ! टूट जाये... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 79 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read बेबसी दर्द जाए न बेबसी जाए ! कैसे आँखों से फिर नमी जाए!! ये ज़रूरी नहीँ जुबां बोले ! बात आँखों से’भी कही जाए !! आस की लौ भला जले कैसे... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 54 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read "ग़म का दरिया" ग़म का दरिया पार करना सीखिए ! मुश्किलों के पर कतरना सीखिए !! वक़्त की सरगोशियाँ ये कह रही ! अज़्म में अंगार भरना सीखिए !! हाथ फ़िर मोती लगेंगे... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 70 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read आस का दीपक मुश्किलों के दौर में भी मुस्कुराना चाहिये! आस का दीपक नहीं हमको बुझाना चाहिये!! ज़िंदगी के खेल में हो जंग रिश्तों से अगर! छोड़ कर अभिमान झूठा हार जाना चाहिये!!... Poetry Writing Challenge-3 65 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read दिलनशीं आसमॉं दिलनशीं इस आसमाँ की बात कर! चाँद, तारों, कहकशाँ की बात कर!! मशवरा तुझको दिया किसने भला! आतिशी दौरे-जहाँ की बात कर!! तीरगी ग़र पल रही दिल में तेरे! रोशनी... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 31 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read "हिंदी" मापनी:1222 1222 1222 1222 बड़ी मीठी लगे सबको हमारी शान है हिंदी ! अनेकों गुण भरे इसमें गुणों की खान है हिंदी !! मधुर धारा बहा देती अगर तुम भीगना... Poetry Writing Challenge-3 · गीतिका 44 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read ”बंदगी” हर तरफ़ जब बंदगी होने लगी! ज़िंदगानी में खुशी होने लगी!! इस जगत में सब मयस्सर है मगर! आदमी की बस कमी होने लगी!! खौफ़ दिल का उड़ गया जाने... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 71 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read “दर्द से दिल्लगी” इक ख़ता अनकही आप कर लीजिए ! दर्द से दिल्लगी आप कर लीजिए !! ज़िंदगी का कभी मत भरोसा करो ! नेकियाँ कुछ नयी आप कर लीजिए !! फूल मिलते... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 46 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read ज़बान ज़बान का जो खरा नहीं है! यक़ीन उसपे ज़रा नहीं है!! लगे असंभव उसे हराना! जो आंधियों से डरा नहीं है!! समझ सके ना किसी की पीड़ा! के’ ज़ख्म जिनका... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 36 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read उल्फ़त उल्फ़त से इन्कार न करना! नफ़रत का इज़हार न करना!! मन का गुलशन खार न करना! भूले से तकरार न करना!! मिलजुल कर ही रहना सारे! रिश्तों को अख़बार न... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 48 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read जाॅं भी तुम्हारी ये जाँ भी तुम्हारी ये दिल भी तुम्हारा ! नज़र ने किया है नज़र को इशारा!! लगा रात दिन जो इसी की लगन में ! क़लम ने उसे ही जहाँ... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 53 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read ज़िंदगानी सजाते चलो पत्थरों को हटाते चलो! ज़िंदगानी सजाते चलो!! तीरगी खल रही ग़र तुम्हें! दीप मन के जलाते चलो!! बिन रुके ही चलाना कलम! धार इसमें लगाते चलो!! तल्ख़ लहज़ा मुसलसल यहाँ... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 33 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read हर खुशी मांग ली हर खुशी मांग ली दोस्तों के लिये! खै़र-मक़दम किया दुश्मनों के लिये!! प्यार से ही सभी क़ाम बनते यहाँ! ज़िंदगी ये कहाँ नफ़रतों के लिये!! रोज़ धरने करें कौम के... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 32 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read “वफ़ा का चलन” च़रागे-मुहब्बत बुझाना नहीं। हमें याद रखना भुलाना नहीं!! अगर या मगर से किनारा करो! बहाने कभी तुम बनाना नहीं!! भले घूम लेना ज़माने में’ तुम! कहीं माँ से’ बढ़कर खज़ाना... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 39 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read आंधियों की धुन आंधियों की धुन पे’ गाती ज़िंदगी! दीप हिम्मत का जलाती ज़िदगी!! वक्त की सरगोशियों के साज़ पर! दिलनशीं नग़मे सुनाती जिंदगी!! चूम लेता गर बुलंदी है बशर! खिलखिलाकर मुस्कुराती ज़िंदगी!!... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 54 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read चाॅंद चाँद निकला किसे देखने के लिए! हो रही साज़िशें रोकने के लिये!! गुफ़्तगू कर रहे हैं सितारे सभी! रोशनी कम पड़ी भेजने के लिये!! ज़िंदगी में यही बात सोचो ज़रा!... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 57 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read दिलकश नज़ारा नज़ारा लाख दिलकश हो मगर अच्छा नहीं लगता! रखे जो दूर छाया को शज़र अच्छा नहीं लगता!! खुशी सारे ज़माने की भले मौजूद हो लेकिन! भरा ग़म है अगर दिल... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 67 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read जहां की रीत इस जहां की यही रीत है ! हौसलों से मिले जीत है!! गुनगुनाओ अगर प्यार से ! ज़िंदगी इक मधुर गीत है!! आदमी मुतमइन वो रहे ! नेकियों से जिसे... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 53 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 2 May 2024 · 1 min read अजब मामला बड़ा ही अजब मामला हो गया! अचानक था जब सामना हो गया!! छिपाते रहे हाल दिल का मगर! ग़मे ज़िंदगी आईना हो गया!! हमेशा निभाता वफ़ा का चलन! बशर वो... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 66 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 22 Feb 2024 · 8 min read धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर की ग़ज़लें 1 *अजब मामला* बड़ा ही अजब मामला हो गया! अचानक था जब सामना हो गया!! छिपाते रहे हाल दिल का मगर! ग़मे ज़िंदगी आईना हो गया!! हमेशा निभाता वफ़ा का... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 77 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 13 Dec 2023 · 1 min read परों को खोल कर अपने उड़ो ऊँचा ज़माने में! परों को खोल कर अपने उड़ो ऊँचा ज़माने में! नहीँ जीवन ये खो देना किसी को आज़माने में! करो पूरे सभी अरमां सदा शाहीन सा बनकर, मुसाफ़िर देर मत करना,... Hindi 202 Share धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर 12 Dec 2023 · 1 min read विश्वास अगर विश्वास हो खुद पर यक़ीनन जीत होती है! बुलंदी इस ज़माने में हमारी मीत होती है! इरादों में अगन भरके करो रोशन चराग़े दिल, हसीं फ़िर ज़िंदगी देखो मधुर... Hindi · मुक्तक 1 1 272 Share