Dhanurdhar Dwivedi 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Dhanurdhar Dwivedi 20 Dec 2020 · 1 min read कोरोना तू आयेगा इसी उम्मीद में, मैं हर रोज जीता हूँ, जहर घोली हवा को, यूँ ही घुट- घुट के पीता हूँ, जवानी क्या, बुढापा क्या, अब बे-रंगीन है दुनिया, कोरोना... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 12 27 563 Share