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Tag: ग़ज़ल
21 posts
फूल को,कलियों को,तोड़ना पड़ा
फूल को,कलियों को,तोड़ना पड़ा
कवि दीपक बवेजा
दिये को रोशननाने में रात लग गई
दिये को रोशननाने में रात लग गई
कवि दीपक बवेजा
रेत पर मकान बना ही नही
रेत पर मकान बना ही नही
कवि दीपक बवेजा
हाथों से कुछ कुछ रिसक रहा है.
हाथों से कुछ कुछ रिसक रहा है.
कवि दीपक बवेजा
पत्थर को भगवान बना देते हैं
पत्थर को भगवान बना देते हैं
कवि दीपक बवेजा
कुछ कर चले ढलने से पहले
कुछ कर चले ढलने से पहले
कवि दीपक बवेजा
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
कवि दीपक बवेजा
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
कवि दीपक बवेजा
यह कौन सा शौक
यह कौन सा शौक
कवि दीपक बवेजा
माँ
माँ
कवि दीपक बवेजा
सुराख पर इल्जाम गलत लगाते हैं
सुराख पर इल्जाम गलत लगाते हैं
कवि दीपक बवेजा
अपनी खुशी को कुरबा किया जाता है
अपनी खुशी को कुरबा किया जाता है
कवि दीपक बवेजा
फूलों ने मिलने की इच्छा जारी की,
फूलों ने मिलने की इच्छा जारी की,
कवि दीपक बवेजा
जब से गया है वह कोहिनूर सा
जब से गया है वह कोहिनूर सा
कवि दीपक बवेजा
कई मौसमों के बाद मैं ,
कई मौसमों के बाद मैं ,
कवि दीपक बवेजा
मेरी कलम क्यों उदास है
मेरी कलम क्यों उदास है
कवि दीपक बवेजा
सपनों को हकीकत में बदलने वाले
सपनों को हकीकत में बदलने वाले
कवि दीपक बवेजा
यह शर्म ए हया, इश्क ,मोहब्बत कुछ तो है
यह शर्म ए हया, इश्क ,मोहब्बत कुछ तो है
कवि दीपक बवेजा
कौन है जिसको बिछड़ जाने पर गिला नहीं है
कौन है जिसको बिछड़ जाने पर गिला नहीं है
कवि दीपक बवेजा
दिल मेरा किसी और से मोहब्बत करेगा नहीं
दिल मेरा किसी और से मोहब्बत करेगा नहीं
कवि दीपक बवेजा
जिसको छूटे हुए अब जमाना हुआ
जिसको छूटे हुए अब जमाना हुआ
कवि दीपक बवेजा
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