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हाय!
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
कहाँ मैं थोक हूँ मैं भी तो यार खुदरा हूँ
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
आह! यह क्या से क्या हो गया
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
साक़ी इधर भी ला न ज़रा और ढाल कर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
सो मिल गया है आज मुझे दार, क्या करूँ?
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
कोई ग़ाफ़िल कहाँ भला जाए
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
कल सताएगा मगर, लगता है
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
आतिशे उल्फ़त को हर कोई हवा देने लगे
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
नज़र अपना निशाना जानती है
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
सजाकर जो पलक पर आँसुओं का हार रखता है
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
चाँद सह्न पर आया होगा
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
उल्फत की रह में आग का दर्या ज़ुरूर है
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
किस सिफ़त का ऐ मेरे मौला तेरा इजलास है
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
कोई नहीं है यूँ जो तुम्हें आदमी बना दे
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
तो अब वह घसछुला बेगार वाला याद आता है
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
बात हो जाए अब आर या पार की
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
ख़ूबसूरत शै को अक़्सर देखिए
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
लोग कहते हैं वो शीशे में उतर जाते हैं
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
काश!
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
सब हमारा ही नाम लेते हैं
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
अब सवाले इश्क़ पर तू हाँ कहेगा या नहीं
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
किसी ग़ाफ़िल का यूँ जगना बहुत है
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
वक़्त गुज़रा तो नहीं लौट कर आने वाला
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
कोई तो राधिका हो
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
सोचता हूँ तो है मुद्दआ कुछ नहीं
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
तू भी इल्ज़ाम लगाना तो ख़बर कर देना
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
ज़माने तेरी मिह्रबानी नहीं हूँ
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
शाइरी काफ़ी नहीं सूरत बदलने के लिए
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
लुटाया भी जी आदमी आदमी पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
क्यूँ नहीं दिल पर मेरे डाका पड़ा
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’