भरत कुमार सोलंकी Tag: ग़ज़ल/गीतिका 19 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid भरत कुमार सोलंकी 10 Jun 2024 · 1 min read प्रेम।की दुनिया नमन मंच विस्य प्रेम प्रतीक्षा दिनांक १०:६:२०२४ प्यास गले की. नजर भले की देख वो श्रृंगार बनी मेरे गले की मिलना तो चाहती है। पर भुलना भी चाहती है। मैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 107 Share भरत कुमार सोलंकी 6 Jun 2024 · 1 min read मेरी भी सुनो . नमन मंच साहित्य पीडिया विषय मेरी भी सुनो दिनांक. ६:६:२०२४ बचपन से जवानी तक बन निकम्मा अपनो की नजर में आज कमल हुआ। खेलने-कुदने की उम्र में खिलौना छुड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 70 Share भरत कुमार सोलंकी 31 May 2024 · 1 min read खुद को पागल मान रहा हु "खुद को पागल' मान रहा हूँ वक्त की बहती धार में आज खुद को सम्भाल रहा हूँ जिन्दगी के निसार में आज तड़पकर खुद को उबाल रहा हूँ, पागलपन के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 93 Share भरत कुमार सोलंकी 28 May 2024 · 1 min read अंगड़ाई अंगडाई ये बेचैन मन को अपनी अनुभुति से आराम करने की सोगात रखती है। तरुणाई से घबराकर अपनी बुती से वो आलस्य पर ओकात रखती है गलती क्यों की जनाव... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 1 86 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read भावो को पिरोता हु भावों को पिरोता हूं मेरे हिसाब की डायरी शब्दो का जुगाड नही मैने लिखी थी शायरी भावो का जुगाड़ नहीं महसूस करता मैं उसे शब्दों में पिरोता हूँ कर महसुस... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 102 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read नारी शक्ति नारी शक्ति जन्म संसार को उसने दिया। मां का स्थान उसे सबने दिया । सहन शीलता की बन वो मुरत ताप तपोमय से तनी तो सुरत । संसार इसकी निष्पक्षता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 138 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read नारी शक्ति नारी शक्ति जन्म संसार को उसने दिया। मां का स्थान उसे सबने दिया । सहन शीलता की बन वो मुरत ताप तपोमय से तनी तो सुरत । संसार इसकी निष्पक्षता... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 112 Share भरत कुमार सोलंकी 23 May 2024 · 2 min read किस बात का गुमान है किस बात का गुमान है। हां! तुम्हे किस बात का गुमान है। क्या बोलने खातिर तेरे मुंह में जुवान है ! तेरी तरह हमने अपनी किताबों का हिसाब नहीं लगाया... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 1 99 Share भरत कुमार सोलंकी 23 May 2024 · 2 min read तुझे किस बात ला गुमान है किस बात का गुमान है। हां! तुम्हे किस बात का गुमान है। क्या बोलने खातिर तेरे मुंह में जुवान है ! तेरी तरह हमने अपनी किताबों का हिसाब नहीं लगाया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 92 Share भरत कुमार सोलंकी 20 May 2024 · 1 min read मै बेरोजगारी पर सवार हु विसय. बेरोजगारी पर सवार विधा. मुक्तक दिनांक. २०:५:२०२४ 212 212. 212. 22 जिन्दगी का एक पल अब हावि हैं". बन्दगी की सादगी आजादी है ! बरस कई बीत गये यही... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 1 87 Share भरत कुमार सोलंकी 20 May 2024 · 1 min read मेरा वजूद क्या " मेरा वजूद क्या है ?" बचपन में मैं मां मांकी गोद में पलकर , बिन चाहत के उतरा खिलौनो को देखकर अपनो के लाड़ में पलकर , आदत से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 68 Share भरत कुमार सोलंकी 20 May 2024 · 1 min read मेरा वजूद क्या है " मेरा वजूद क्या है ?" बचपन में मैं मां मांकी गोद में पलकर , बिन चाहत के उतरा खिलौनो को देखकर अपनो के लाड़ में पलकर , आदत से... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 92 Share भरत कुमार सोलंकी 18 May 2024 · 2 min read लड़को की योग्यता पर सवाल क्यो हमारी योग्यता पर सवाल क्यो रख तानो को मन पर ख्यालो को खोजते है छोड सवालो को लालची मन का पता नही शादी पर लडको की योग्यता पर सवाल क्यो... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 86 Share भरत कुमार सोलंकी 16 May 2024 · 2 min read मै पत्नी के प्रेम में रहता हूं विसय मैं पत्नी के प्रेम में रहता हूं । विधा. मुक्तक दिनांक. १६:५:२०२४ बिन ब्याह आजाद ख्यालो में मैं उसके चक्कर. काटता हू अकेला बैठ ,मैं उसके ख्यालों में ,चाहकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 75 Share भरत कुमार सोलंकी 15 May 2024 · 1 min read मै ना सुनूंगी "ना सुनूंगी " भोली सुरत लेके तु मुझको क्यो बहकाता है। आलाप ना कर, तेरी मैं ना सुनगी बहाना लेके तु मीठे बोल से क्यों समझाता है । आलाप ना... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 95 Share भरत कुमार सोलंकी 15 May 2024 · 1 min read भूल ना था भुल ना था पश्चाताप के आलम में मैअपना वजूद खोज रहा विग्रह् के मनोरम मे मै रख कलम कुछ सोच रहा क्यो मैं अपने मां बाप की भूल था उम्मीद... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 80 Share भरत कुमार सोलंकी 14 May 2024 · 1 min read मन की प्रीत मन की मीत ही मेरी प्रीत है आकाश में उड़ते परिन्दाे का ,कुछ तो अरमान होता है धरती पर रेंगते जीव का भी, कुछ न कुछ तो अरमान होता है... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल/गीतिका 94 Share भरत कुमार सोलंकी 14 May 2024 · 1 min read मन की प्रीत मन की मीत ही मेरी प्रीत है आकाश में उड़ते परिन्दाे का ,कुछ तो अरमान होता है धरती पर रेंगते जीव का भी, कुछ न कुछ तो अरमान होता है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 77 Share भरत कुमार सोलंकी 13 May 2024 · 2 min read ममता का सागर मां ममता का सागर मां बेटे की उम्मीद है मा बेटे की जिद है। मां की फटकार बेटे को सही गलत की पहचान करवाती है मौका लालच बेटे को सब्जीवन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 100 Share