भरत कुमार सोलंकी Tag: कुण्डलिया 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid भरत कुमार सोलंकी 15 Jun 2024 · 1 min read पागल प्रेम नमन मंच विसय पागल प्रेम विधा मुक्तक दिनांक 15:6:2024 पगली आज तुझे किस बात का गुमान है। मन हमारा आज खाली है उड़ने को ना विमान है। आया आज मैं... Hindi · कुण्डलिया 82 Share भरत कुमार सोलंकी 14 Jun 2024 · 1 min read कुछ ना लाया . नमन मंच बेजुबान ख्वाइश विषय मन के सिवा कुछ ना लाया विधा मुक्तक दिनांक. १४:६:२०२४ लिखी गजल पर तेरा नाम ,मेरी कलम से चढ़ ना पाया । उठा बवाल... Hindi · कुण्डलिया 1 71 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read वसियत जली जमाने की रफ्तार में, हमारी चाल धीमी जरुर हुई राहगीरों पर छाप छोड़, वो यू सीधी गुरुर हुई ।। गुरुर की आजमाईश पर, मेरे अपने यु शिकार हुए कुछ को... Hindi · कुण्डलिया 80 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read वासियत जली थी जमाने की रफ्तार में, हमारी चाल धीमी जरुर हुई राहगीरों पर छाप छोड़, वो यू सीधी गुरुर हुई ।। गुरुर की आजमाईश पर, मेरे अपने यु शिकार हुए कुछ को... Poetry Writing Challenge-3 · कुण्डलिया 100 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read जिंदगी को बोझ मान जिन्दगी ने हमें निकम्मा बना दिया अन्धेरी चाहत ने हमें शम्मा बना दिया बोझ जिन्दगी का उठाये फिर रहा हूँ प्रतीक्षा की अंगार पर खुद को रख आज राख बना... Poetry Writing Challenge-3 · कुण्डलिया 93 Share भरत कुमार सोलंकी 27 May 2024 · 1 min read यही विश्वास रिश्तो की चिंगम है " रिश्तो को संगम " भाव का दाव रख आंखो से आंखों को मिलाकर अपनी भाव विभोर की छाव रख वो स्वप्न नयनी आयी नजरों को झुकाकर यही भावनाएँ, बनी... Poetry Writing Challenge-3 · कुण्डलिया 1 94 Share भरत कुमार सोलंकी 26 May 2024 · 2 min read दिनकर शांत हो दिनकर तुम शांत हो आज तेरी बेशर्मी की हद हो गयी तपन की आंच भी सरहद हो गयी सुहाना समझते थे हम तुमे रावण बन मर्यादा तोडी मंद हो गयी... Hindi · कुण्डलिया · शेर 95 Share भरत कुमार सोलंकी 19 May 2024 · 1 min read मन के सवालों का जवाब नही " मन के सवाल का जवाब नहीं विचारशील मै बैठकर कागज कलम की तन्हाई पर कुछ सवाल उभरे हैं। एकान्त की पराकाष्ठा पर इस मन की गहराई के सवाल का... Poetry Writing Challenge-3 · कुण्डलिया 71 Share भरत कुमार सोलंकी 12 May 2024 · 2 min read पास तो आना- तो बहाना था" •. पास तो आना- तो बहाना था" मन की बन तू शायरी मन से लिखता हूँ डायरी खास बनकर खामोश मन के पास तेरा तो आना-जाना था। कलम मेरी खुश... Hindi · कुण्डलिया 1 1 76 Share