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169 posts
बड़े बड़े लेख लिखे जाते हैं महिला दिवस पर पुरुषों द्वारा।
बड़े बड़े लेख लिखे जाते हैं महिला दिवस पर पुरुषों द्वारा।
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जन्मदिन विशेष :
जन्मदिन विशेष :
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
रात में कितना भी मच्छर काटे
रात में कितना भी मच्छर काटे
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अंधविश्वास से परे प्रकृति की उपासना का एक ऐसा महापर्व जहां ज
अंधविश्वास से परे प्रकृति की उपासना का एक ऐसा महापर्व जहां ज
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
तुमसे मिला बिना
तुमसे मिला बिना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कुछ प्रेम उत्सव नहीं मना पाते
कुछ प्रेम उत्सव नहीं मना पाते
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
हमारे ख्यालों पर
हमारे ख्यालों पर
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
शुरुआत में खामोशी समझने वाले लोग
शुरुआत में खामोशी समझने वाले लोग
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मुझे लगा अब दिन लदने लगे है जब दिवाली की सफाई में मां बैट और
मुझे लगा अब दिन लदने लगे है जब दिवाली की सफाई में मां बैट और
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
एक उम्र तक तो हो जानी चाहिए थी नौकरी,
एक उम्र तक तो हो जानी चाहिए थी नौकरी,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
💞सुना है ....
💞सुना है ....
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
वक्त के साथ लड़कों से धीरे धीरे छूटता गया,
वक्त के साथ लड़कों से धीरे धीरे छूटता गया,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जिस यात्रा का चुनाव
जिस यात्रा का चुनाव
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
भारत इकलौता ऐसा देश है जहां लड़के पहले इंजीनियर बन जाते है फ
भारत इकलौता ऐसा देश है जहां लड़के पहले इंजीनियर बन जाते है फ
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
हिन्दी भाषा के शिक्षक / प्राध्यापक जो अपने वर्ग कक्ष में अंग
हिन्दी भाषा के शिक्षक / प्राध्यापक जो अपने वर्ग कक्ष में अंग
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
हिंदी भाषा नही,भावों की
हिंदी भाषा नही,भावों की
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जीवन में बुरे कर्मों से बचाने वाला ही
जीवन में बुरे कर्मों से बचाने वाला ही
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
यह पतन का दौर है । सामान्य सी बातें भी क्रांतिकारी लगती है ।
यह पतन का दौर है । सामान्य सी बातें भी क्रांतिकारी लगती है ।
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
यह पतन का दौर है । सामान्य सी बातें भी क्रांतिकारी लगती है ।
यह पतन का दौर है । सामान्य सी बातें भी क्रांतिकारी लगती है ।
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
एक दिन मैं उठूंगा और
एक दिन मैं उठूंगा और
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं ज्यादा पूजा-पाठ में यकीन नहीं करता। मैं ज्यादा मंदिर जान
मैं ज्यादा पूजा-पाठ में यकीन नहीं करता। मैं ज्यादा मंदिर जान
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
प्रेम मे सबसे  खूबसूरत  चीज होती है कोशिश...थोड़ी और कोशिश ह
प्रेम मे सबसे खूबसूरत चीज होती है कोशिश...थोड़ी और कोशिश ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं पुरुष हूं
मैं पुरुष हूं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जो लोग बलात्कार करते है
जो लोग बलात्कार करते है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मानव जब जब जोड़ लगाता है पत्थर पानी जाता है ...
मानव जब जब जोड़ लगाता है पत्थर पानी जाता है ...
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
लड़कों को एक उम्र के बाद
लड़कों को एक उम्र के बाद
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जिसने बंदूक बनाई / कमलजीत चौधरी
जिसने बंदूक बनाई / कमलजीत चौधरी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
छूटना
छूटना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कई बरस बाद दिखोगे
कई बरस बाद दिखोगे
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
नारीत्व
नारीत्व
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जब मैं इस धरा पर न रहूं मेरे वृक्ष
जब मैं इस धरा पर न रहूं मेरे वृक्ष
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जब सुनने वाला
जब सुनने वाला
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
रहिमन ओछे नरम से, बैर भलो न प्रीत।
रहिमन ओछे नरम से, बैर भलो न प्रीत।
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
'प्रेमिकाएं' चाहती रही.. 'अर्धांगिनी' कहलाने का हक
'प्रेमिकाएं' चाहती रही.. 'अर्धांगिनी' कहलाने का हक
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पूँजी, राजनीति और धर्म के गठजोड़ ने जो पटकथा लिख दी है, सभी
पूँजी, राजनीति और धर्म के गठजोड़ ने जो पटकथा लिख दी है, सभी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं सिर्फ उनके लिए लिखता हूं
मैं सिर्फ उनके लिए लिखता हूं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
लिखता हूं जिसके लिए
लिखता हूं जिसके लिए
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पहाड़
पहाड़
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ये उम्र भर का मुसाफ़त है, दिल बड़ा रखना,
ये उम्र भर का मुसाफ़त है, दिल बड़ा रखना,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
यूं तो हमेशा से ही
यूं तो हमेशा से ही
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मेरी यादों में
मेरी यादों में
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
प्रेम किसी दूसरे शख्स से...
प्रेम किसी दूसरे शख्स से...
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं मन के शोर को
मैं मन के शोर को
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ये बादल क्युं भटक रहे हैं
ये बादल क्युं भटक रहे हैं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कितने शब्द हैं
कितने शब्द हैं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पुण्यतिथि विशेष :/ विवेकानंद
पुण्यतिथि विशेष :/ विवेकानंद
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं लोगों की तरह चांद तारे तोड़ कर तो नही ला सकता लेकिन तुम
मैं लोगों की तरह चांद तारे तोड़ कर तो नही ला सकता लेकिन तुम
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
गाँव इतना छोटा है
गाँव इतना छोटा है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
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