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भारत इकलौता ऐसा देश है जहां लड़के पहले इंजीनियर बन जाते है फ
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
हिन्दी भाषा के शिक्षक / प्राध्यापक जो अपने वर्ग कक्ष में अंग
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
हिंदी भाषा नही,भावों की
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जीवन में बुरे कर्मों से बचाने वाला ही
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
यह पतन का दौर है । सामान्य सी बातें भी क्रांतिकारी लगती है ।
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
यह पतन का दौर है । सामान्य सी बातें भी क्रांतिकारी लगती है ।
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
एक दिन मैं उठूंगा और
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं ज्यादा पूजा-पाठ में यकीन नहीं करता। मैं ज्यादा मंदिर जान
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
प्रेम मे सबसे खूबसूरत चीज होती है कोशिश...थोड़ी और कोशिश ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं पुरुष हूं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जो लोग बलात्कार करते है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मानव जब जब जोड़ लगाता है पत्थर पानी जाता है ...
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
लड़कों को एक उम्र के बाद
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जिसने बंदूक बनाई / कमलजीत चौधरी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
छूटना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कई बरस बाद दिखोगे
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
नारीत्व
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जब मैं इस धरा पर न रहूं मेरे वृक्ष
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जब सुनने वाला
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
रहिमन ओछे नरम से, बैर भलो न प्रीत।
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
'प्रेमिकाएं' चाहती रही.. 'अर्धांगिनी' कहलाने का हक
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पूँजी, राजनीति और धर्म के गठजोड़ ने जो पटकथा लिख दी है, सभी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं सिर्फ उनके लिए लिखता हूं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
लिखता हूं जिसके लिए
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पहाड़
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ये उम्र भर का मुसाफ़त है, दिल बड़ा रखना,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
यूं तो हमेशा से ही
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मेरी यादों में
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
प्रेम किसी दूसरे शख्स से...
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं मन के शोर को
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ये बादल क्युं भटक रहे हैं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कितने शब्द हैं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पुण्यतिथि विशेष :/ विवेकानंद
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मैं लोगों की तरह चांद तारे तोड़ कर तो नही ला सकता लेकिन तुम
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
गाँव इतना छोटा है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
विवाह का आधार अगर प्रेम न हो तो वह देह का विक्रय है ~ प्रेमच
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कितना दूर जाना होता है पिता से पिता जैसा होने के लिए...
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पहले नदियां थी , तालाब और पोखरें थी । हमें लगा पानी और पेड़
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अधिकतर प्रेम-सम्बन्धों में परिचय, रिश्तों और उम्मीदों का बोझ
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
बुद्ध चाहिए युद्ध नहीं / रजनी तिलक (पूरी कविता...)
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
बुद्ध पूर्णिमा विशेष:
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
तानाशाह के मन में कोई बड़ा झाँसा पनप रहा है इन दिनों। देशप्र
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
धार्मिक होने का मतलब यह कतई नहीं कि हम किसी मनुष्य के आगे नत
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
आलस मेरी मोहब्बत है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जन्मदिवस विशेष 🌼
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मातृत्व दिवस विशेष :
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
बस्ती में अपने हिंदू-मुसलमां जो बस गए इंसान की शक्ल देखने को
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
प्रेम को स्मृतियां
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'