Sumit Singh 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Sumit Singh 1 Nov 2018 · 1 min read हंसती रहती हो मां(गीत) खुद में इतने दर्द समेटे कैसे हँसती रहती हो माँ ध्यान बराबर सबका रखतीं अपनी सुध-बुध बिसराई है कभी निहारो जाकर दर्पण बालों में चाँदी आई है बोझ सभी का... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 56 773 Share