Posts by Binit Thakur (विनीत ठाकुर) 7 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Binit Thakur (विनीत ठाकुर) 21 Feb 2023 · 1 min read बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज / मातृभाषा दिवश पर हमर एक गाेट कविता बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज केहन सपना हम मीता देखलौँ भोर में । माय मिथिला जगाबथि भरल नोर में ।। कहथि रने वने घुमी अपन अधिकार लेल । छैं तूँ... Maithili · कविता 2 84 Share Binit Thakur (विनीत ठाकुर) 14 Feb 2023 · 1 min read मैथिली हाइकु / Maithili Haiku अहाँक संग जीवन सुखसार लाल गुलाब ।। विनीत ठकुर मिथिला बिहारी नगरपालिका मिथिलेश्वर मौवाही – ३ धनुषा, नेपाल Maithili · हाइकु 1 196 Share Binit Thakur (विनीत ठाकुर) 6 Feb 2023 · 1 min read जनगणना मे मैथिली / Maithili in Population Census / जय मैथिली जनगणना मे मैथिली ( जय मैथिली ) अपन मातृभाषा अपने बचाउ जनगणना मे मैथिली लिखाउ ।। #मिथिला_बिहारी_नगरपालिका #मिथिलेश्वर_मौवाही – ३ धनुषा, नेपाल #जनकपुरधाम #जनगणना_मे_मैथिली #maithili_in_population_census #विनीत_ठाकुर #binitthakur #populationcensus Maithili · कोटेशन 1 111 Share Binit Thakur (विनीत ठाकुर) 20 Jan 2023 · 1 min read मैथिली हाइकु कविता (Maithili Haiku Kavita) प्रकाश (Light) #daily_writing_challenge उदित सूर्य प्रकाशमय पृथ्वी जीवन रेखा । #मैथिली_हाइकु_कविता विनीत ठाकुर मिथिला बिहारी नगरपालिका मिथिलेश्वर मौवाही – ३ धनुषा, नेपाल Maithili · हाइकु 3 1 298 Share Binit Thakur (विनीत ठाकुर) 20 Jan 2023 · 1 min read मैथिली भाषाक मुक्तक / शायरी #मुक्तक #शायरी #मैथिली_भाषाक_मुक्तक #मैथिली_भाषाक_शायरी पल–पल हम मोन पारैत रहै छी सुन्दर सन नयना निहारैत रहै छी नेहक कमल सुनु हे दिव्य सुन्दरी हृदय मे सदिखन दुलारैत रहै छी ।। विनीत... Maithili · मुक्तक 3 1 337 Share Binit Thakur (विनीत ठाकुर) 18 Jan 2023 · 1 min read मैथिली मुक्तक / मैथिली शायरी (Maithili Muktak / Maithili Shayari) मैथिली मुक्तक मैथिली शायरी चोरक शत्रु चान जगत मे सब सँ आगू बैमान जगत मे उल्टा–पुल्टा सयम चक्र बीच बचाउ कहुना मान जगन मे ।। मिथिला बिहारी नगरपालिका मिथिलेश्वर मौवाही... Maithili · मुक्तक 2 616 Share Binit Thakur (विनीत ठाकुर) 17 Jan 2023 · 1 min read मैथिली मुक्तक (Maithili Muktak) / मैथिली शायरी (Maithili Shayari) बघण्डी के गाछ पर भूतक बसेरा छै बाघक मुँह मे ठाढ़ रैमल बछेड़ा छै स्वार्थी भलमानुष सँ करबै कि आश अहाँ ओकर एक हाथ कत्ता दोसर हाथ पेड़ा छै । Maithili 2 427 Share