Dr BHUWAN CHANDRA PATHAK bhuwnesh 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr BHUWAN CHANDRA PATHAK bhuwnesh 15 Mar 2018 · 1 min read हे शिक्षे ! हे शिक्षे, तू भ्रष्ट हुई बनकर बनिकों की मुँहबोली वैभव की अभिप्राय हुई रुपयों की थैली । सर्वसुलभ थी समाधान थी दीन-हीन वंचित-विशेष सबमें समान थी अब महलों की मेहमान... Hindi · कविता 279 Share