Bharat Bhushan Pathak Tag: ग़ज़ल/गीतिका 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Bharat Bhushan Pathak 3 Oct 2019 · 1 min read रदीफ़-में डुबाकर मन के भावों को, तर करके स्याही में। लिखी थी खत कभी,मैंने थी जो तनहाई में।। वो तिरे भींगे केशों की, थी जो खुशबू रुहानी में। तिरे सुर्ख वो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 265 Share Bharat Bhushan Pathak 8 Nov 2018 · 1 min read गुस्ताखे दीदार न गुस्ताख हो जाय गुस्ताखे -दीदार न गुस्ताख हो जाए यूँ न उठा के देख ऐ जालिम रुख से परदा हटाकर। कि तेरी जूर्रत में जूर्रत न गुस्ताख हो जाए। शमाँ जलती है परवानों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 270 Share