Ashok Sharma Tag: छंद 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ashok Sharma 3 May 2022 · 1 min read पिता:(प्रदीप छंद) सारे वैभव के तुम दाता, तू ही जग की शान हो। तुमसे ही सब घर की शोभा, त्यागपथी व महान हो। कहते जग का पालनहारा, सिर्फ एक ही एक है।... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · छंद 3 5 149 Share Ashok Sharma 29 Apr 2022 · 1 min read पिता:(त्रिभंगी छंद) हे जगत विनायक, भाग्य विधायक, गृह पालक तू, सन्यासी। खुशियों के दाता, सुहाग माता,जग पालक हे, अधिशासी । हे दर्द विनाशक, शांति उपासक, रहते हरदम, श्रमवासी। तू गम ना पाले,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · छंद 4 6 497 Share Ashok Sharma 27 Apr 2022 · 1 min read महँगाई: (आधार छंद) कैसे बोलूँ बात, नयन तो रोते मेरे। देते सारे दर्द, अब महंगाई तेरे। कंगाली की मार,सह रही धात्री सारी। तूने ही तो सब, बटुए की शोभा मारी। लेके ढोते कर्ज,... Hindi · छंद 156 Share