Ashok deep Tag: Social Poetry 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Ashok deep 29 Jun 2024 · 1 min read बात चली है गीतिका जाने कैसी बात चली है । सहमी-सहमी बाग़ कली है । जिन्दा होती तो आजाती, सायद बुलबुल आग जली है । दुख का सूरज पीढ़ा तोड़े, सुख की मीठी... Hindi · Best Hindi · Best Hindi Poetry · Samajik Kavita · Social Poetry · ग़ज़ल/गीतिका 1 75 Share