अशोक कुमार ढोरिया 19 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अशोक कुमार ढोरिया 11 Nov 2024 · 2 min read पुस्तक समीक्षा (पुस्तक समीक्षा) समीक्षक -- रामधारी खटकड़ पुस्तक -- धतूरे के फूल लेखक --- अशोक कुमार ढोरिया पुस्तक का शीर्षक पढ़कर चौंक सा गया-"धतूरे के फूल" ! एक कवि सम्मेलन में... Hindi · पुस्तक समीक्षा 42 Share अशोक कुमार ढोरिया 11 Nov 2024 · 2 min read सम्मान समारोह एवं पुस्तक लोकार्पण दिनाँक 9 नवम्बर,2024 को सृजनधारा साहित्यिक संस्था के तत्त्वाधान में संस्था का दूसरा वार्षिक आयोजन हुआ। जिसमें आदरणीय हलचल हरियाणवी जी को वर्ष 2023 का एवं आदरणीय महेंद्र सिंह बिलोटिया... Hindi · पुस्तक समीक्षा 105 Share अशोक कुमार ढोरिया 25 Aug 2024 · 1 min read इंसानियत झुक जाता हूँ मैं, मगर टूटा हुआ नहीं हूँ मैं । पंख विहीन होते हुए भी, भरना चाहता हूँ ऊँची उड़ान, अनन्त आसमान में। मगर इंसानियत के नाते, जमीन पर... Hindi · कविता 58 Share अशोक कुमार ढोरिया 25 Aug 2024 · 1 min read सपने सपने ***** सपने तो मेरे भी बहुत थे, रातभर उड़ान भरते, भोर होने तक टूट जाते, मिट्टी के घरौंदे की तरह। केवल मन ललचाने को, याद बन कर रह जाते... Hindi · कविता 60 Share अशोक कुमार ढोरिया 29 Jun 2024 · 1 min read दोहे ******** बाग़बान करता सदा, बगिया से ही प्यार। डाल डाल पर फूल हों,छाए अजब बहार।। बाग़बान बस चाहता,हरा भरा परिवेश। इच्छा पूरी हो तभी , जागे भारत देश।। ******** अशोक... Hindi · दोहा 97 Share अशोक कुमार ढोरिया 6 Jun 2024 · 1 min read लघुकथा - दायित्व लघुकथा - दायित्व ************** "ओह ! ये गर्मी।" "यार आज तो तापमान 50 से ज्यादा है, जीना बेहाल कर रखा है।" "हाँ भाई, गर्मी ने पिछले 22 साल का रिकॉर्ड... Hindi · लघु कथा 80 Share अशोक कुमार ढोरिया 6 Jun 2024 · 1 min read लघुकथा - घर का उजाला लघुकथा - घर का उजाला ************ "सुन रहे हो क्या ? " सुनन्दा ने प्रीत से कहा। "हाँ , बोलिए जी क्या कह रही हो ?" "जल्दी से पंखे बंद... Hindi · लघु कथा 126 Share अशोक कुमार ढोरिया 14 Jan 2024 · 1 min read दोहे शीर्षक - हवा चली संक्रांति की विधा - दोहा ******** हवा चली संक्रांति की, नभ में उड़े पतंग। ढोल नगाड़े बज उठे,जमा गजब का रंग।। हवा चली संक्रांति की,सरसों हुई... 191 Share अशोक कुमार ढोरिया 29 Dec 2023 · 1 min read हाइकु हाइकु ************ सूरज छिपा जल उठे दीपक रात हो गई सूरज जागा हँस पड़ी किरणें अंधेरा भागा लेकर ओट छुप गया सूरज घटा छा गई सूरज उगा मुस्कुरा उठा भोर... 2 185 Share अशोक कुमार ढोरिया 29 Dec 2023 · 1 min read दोहे दोहे ********** नहीं मानते बात जो , कैसे हों वे पास। पुस्तक पढ़ते हैं नहीं,नित्य करें बकवास।। कर्म धर्म की जो सदा,नहीं मानते बात। उनसे दूरी है भली , करते... 1 243 Share अशोक कुमार ढोरिया 29 Dec 2023 · 1 min read दोहे दोहे ********** मस्ती बचपन में बहुत , करते थे दिन रात। यादें बाकी रह गई,शिथिल हुआ अब गात।। यादें बाकी रह गई, बुझी न मन की प्यास। साथ छोड़ कर... 2 297 Share अशोक कुमार ढोरिया 30 Nov 2023 · 1 min read दोहे ********** हाथ जोड़ पूजा करें , सखियाँ गंगा घाट। मनोकामना पूर्ण हो, दिल के खुले कपाट।। सखियाँ गंगा घाट पर, करती पूजा पाठ। कपट भाव को त्याग कर,मांगे जीवन ठाठ।।... 229 Share अशोक कुमार ढोरिया 30 Nov 2023 · 1 min read लघुकथा - एक रुपया लघुकथा - एक रुपया **************** अखबार में मोटे अक्षरों में छपी खबर को पढ़कर कंचन बिटिया ने दादा से पूछा - " दादा जी रमेश अंकल के घर ये नई... Hindi 2 2 275 Share अशोक कुमार ढोरिया 2 Dec 2018 · 1 min read हाइकु 1. चुनावी रैली बर्बाद करती हैं धन की थैली 2. आती हैं सदा मुश्किलें जीवन में हार न मानें अशोक कुमार ढोरिया ई मेल neelam 11052014@gmail.com Hindi · हाइकु 635 Share अशोक कुमार ढोरिया 8 Nov 2018 · 1 min read दोहे बेटी घर का मान है, नहीं किसी पर भार। अगर नहीं हों बेटियाँ , हो कैसा संसार।। अशोक कुमार ढोरिया मुबारिकपुर(झज्जर) हरियाणा सम्पर्क 9050978504 Hindi · दोहा 7 2 753 Share अशोक कुमार ढोरिया 8 Nov 2018 · 1 min read मृत्युभोज मृत्युभोज मंगतू ने गरीबी की मार सहते हुए जैसे तैसे मजदूरी करके अपने इकलौते बेटे को पढ़ा लिखाकर कामयाब कर दिया।अच्छी नौकरी मिल गई। नौकरी के बाद बेटे की शादी... Hindi · लघु कथा 5 3 720 Share अशोक कुमार ढोरिया 6 Nov 2018 · 1 min read मैं नन्हा नन्हा बालक हूँ नन्हा नन्हा बालक हूँ मैं मरुस्थल की सैर करता हूँ चलता चलता थक जाता हूँ ऊँट को जहाज बनाता हूँ। नन्हा नन्हा बालक हूँ मैं मैं भ्रमण लम्बे करता हूँ... Hindi · कविता · बाल कविता 6 595 Share अशोक कुमार ढोरिया 6 Nov 2018 · 1 min read पश्चाताप का खजाना खजाना अक्सर धन का होता है लेकिन मुझे नसीब हुआ -पश्चाताप का खजाना।छिपा खजाना भला किसको अच्छा नहीं लगता।मैं अपने घर खर्च में से कुछ पैसे बचत के तौर पर... Hindi · लघु कथा 5 1 454 Share अशोक कुमार ढोरिया 4 Nov 2018 · 1 min read माँ कलेजे में दुःख-दर्द छिपाकर, फूल-सी खिली रहती थी माँ निवाला दे अपने मुख का मुझे, स्वयं भूखी रहती थी माँ स्वयं चाहे न मिला आशियाना, सुरक्षा कवच बन मेरी अच्छा... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 13 69 1k Share