Ashish Kumar Mishra Tag: कविता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ashish Kumar Mishra 14 Dec 2017 · 1 min read पुनर्निर्माण इस जग को दरकिनार कर संपूर्णता का निःशेष श्रृंगार कर खुद को रोज मिटाता हूँ हर दिन नया बन जाता हूँ चाहता हूँ घरद्वार बदलना प्रति पग पर संसार बदलना... Hindi · कविता 446 Share Ashish Kumar Mishra 13 Dec 2017 · 1 min read माँ समय की घड़ी दिखाकर माँ मुझको समझायी तो थी एक एक घड़ी जीवन की इकाई है बतलायी तो थी; तब हमने माँ के हर इशारो को समझा और चला था... Hindi · कविता 291 Share