हिरेन जोशी 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid हिरेन जोशी 1 Oct 2024 · 1 min read व्याकुल मन की व्यञ्जना यह कैसा है अनुबंध नित्य होता जिसमें द्वंद व्याकुल होता मेरा मन क्षणिक भर का उद्गार नहीं जीवन का आधार तुम हर पल तुमको देखा करूँ भले हो बिन शृंगार... Hindi · कविता 36 Share