DrArchana Sharma 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid DrArchana Sharma 3 Nov 2018 · 1 min read माँ की माँ थाम लेती हूँ दोनों हाथों से, जब चलती है वह, लड़खड़ाती अबोध शिशु- सी। सहला देती हूँ, पानी की नरमाई से, जैसे बचपन में उसने नहलाया था कभी। पढ़ लेती... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 23 477 Share