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तारे बुझ गये फिर भी
अर्चना मुकेश मेहता
हल्के किरदार अक्सर घाव गहरे दे जाते हैं।
अर्चना मुकेश मेहता
लक्ष्य गर समक्ष है तो
अर्चना मुकेश मेहता
फूलों की खुशबू सा है ये एहसास तेरा,
अर्चना मुकेश मेहता
उठ रहा मन में समन्दर क्यूँ छल रहा सारा जहाँ,
अर्चना मुकेश मेहता
आज दिल ये तराना नहीं गायेगा,
अर्चना मुकेश मेहता
तुम्हें मुझको रिझाना चाहिये था
अर्चना मुकेश मेहता
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
अर्चना मुकेश मेहता
तुझे खो कर तुझे खोजते रहना
अर्चना मुकेश मेहता
आसमाँ पर तारे लीप रहा है वो,
अर्चना मुकेश मेहता
तुमसे मिलने पर खुशियां मिलीं थीं,
अर्चना मुकेश मेहता
सब व्यस्त हैं जानवर और जातिवाद बचाने में
अर्चना मुकेश मेहता