अनुज पाण्डेय Tag: कविता 19 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अनुज पाण्डेय 15 Oct 2019 · 1 min read मीठी कविता ◆◆◆◆ 112 मीठी कविता है बात जलेबी डूबी जो चाशनी, नर्म दिल तो देखो जैसे हो रसमलाई----2 लाते जो पेड़ा बर्फी या कि गुलाब जामुन कहते सब ही आओ खाओ... Hindi · कविता · बाल कविता 824 Share अनुज पाण्डेय 14 Sep 2019 · 1 min read हिन्दी दिवस विशेष/ शुद्ध श्रेष्ठ संस्कारित भाषा देवनागरी लिपि कहाती। अद्भुत ज्ञान कोष सहेजे संस्कृत की उत्तराधिकारी कहाती। पाली प्राकृत अपभ्रंश से होकर ये परिमार्जित अद्य परिष्कृत लक्षण हैं उत्तम रूप स्वरूप सुहाती।... Hindi · कविता 521 Share अनुज पाण्डेय 12 Sep 2019 · 1 min read स्वाभिमान या अभिमान स्वाभिमान कदाचित चुपचाप बन जाता अभिमान अन्तर होता है सूक्ष्म दोनों भावनाओं में बदलेंगे कब स्वभाव सीख लें इसका ज्ञान। अनीति और अधर्म जब आरोपित हो किसी भाँति किञ्चित संकोच... Hindi · कविता 402 Share अनुज पाण्डेय 12 Sep 2019 · 1 min read अहमक़ लोगों के साये में अहमक़ लोगों के साये में क्या जीवन सुख को पायेंगे? सङ्ग बुराई का होगा तो कहाँ प्रसन्नता छायेगी? दुर्दिन और बेकारी आएंगी दिन दिन आएगी बर्बादी। नहीं मानता मन करता... Hindi · कविता 239 Share अनुज पाण्डेय 12 Sep 2019 · 1 min read वर्षा घोर घनेरे घन घिर आये। अंधकार आतुर हो छाए। दिया प्रलोभन मोर नचायें। मन रंजन कर जल बरसाए। अब अंतर मन हुआ आह्लादित। अम्बर में घोर घटा आच्छादित। जलन शांत... Hindi · कविता 1 578 Share अनुज पाण्डेय 12 Sep 2019 · 1 min read जीवन की राह पर जीवन की राह पर मुश्किलें हजार हों लेकर हम रामाधार कर जाए जलधि पार देखो फिर कोई नहीं टिकता है सामने निश्चित ही सफल हो इसमें न संशय हो मजबूत... Hindi · कविता 1 246 Share अनुज पाण्डेय 29 Aug 2019 · 1 min read आराम/ विश्राम आराम/ विश्राम एक दिन थक कर बैठा कुछ क्षण व्यतीत हुए साँस मद्धम होकर सन्तुलित हुई हृदय आनन्द में विहार करता रहा शांति चारों दिशाओं में व्याप्त शब्द कोई नहीं... Hindi · कविता 2 260 Share अनुज पाण्डेय 29 Aug 2019 · 1 min read मेरा भारत मेरा भारत मार्तण्ड सदृश चमको जग में ये विश्वगुरु परिपाटी है। हम दीन नहीं हम क्षीण नहीं ये पूज्य देवरज माटी है। स्वर्णिम अवसर अब प्राप्त हुआ धर्म ध्वजा लहराती... Hindi · कविता 2 497 Share अनुज पाण्डेय 29 Aug 2019 · 1 min read शंखनाद # शंखनाद # अब जागो शंखनाद करो जीवन का सर्वस्व त्याग अब करने को राष्ट्र-समर्पित जागो कर्त्तव्य निर्वहन करने को आचरण शुद्ध , निश्च्छल चरित्र, गणवेश धार बस एक बार... Hindi · कविता 2 445 Share अनुज पाण्डेय 28 Aug 2019 · 1 min read हास्य पति बैठा कविता लिखने तो पत्नी बोली सुनो ज़नाब! काहे बैठे सोच में कुछ तो कर लो काम ऐसे बैठे खाली खाने से नहीं चलेगा काम। रोज सुबह से रात... Hindi · कविता 3 525 Share अनुज पाण्डेय 28 Aug 2019 · 1 min read पावन कर ले अन्तर्मन पावन करले अन्तर्मन को धारण करके धर्म। सूर्य उदय होने से जैसे रात अंधेरी दूर चली। जीवन के हर दिन की बातें, न यादों का अर्थ। रात्रि काल जो बीत... Hindi · कविता 2 367 Share अनुज पाण्डेय 25 Aug 2019 · 1 min read माँ माता एहसास मेरा दिल करता है पास ही हो तुम, मां पास ही हो। प्यास नहीं तुम तृप्ति हो मझधार नहीं तुम साहिल हो तुम दर्द नहीं हो हर्ष ही... Hindi · कविता 3 2 490 Share अनुज पाण्डेय 24 Aug 2019 · 1 min read सौंदर्य वर्णन अप्रतिम श्रृंगार निश्छल प्रेम समाहित जिसमें, हृदय पुष्प कमल सा। किससे समता करूँ जगत में, उपमेय नहीं तुमसा। सृष्टि की पावन कृति हो तुम सुंदर चन्द्र लजाया। भावों को धर... Hindi · कविता 2 1k Share अनुज पाण्डेय 24 Aug 2019 · 1 min read प्रकृति चित्रण अरुणकाल में रक्तवर्ण रवि राजित हुए विशाल। धरा स्वर्ण सम दमक रही है मुंजित हुए रसाल।।1।। नव तारुण्य चितचोर मोहिनी तरुवर करे मिलाप मलय सुवासित मारुत प्रवहति नष्ट करे सन्ताप।।2।।... Hindi · कविता 2 611 Share अनुज पाण्डेय 24 Aug 2019 · 1 min read वर्षा ऋतु वर्षा काल गौर कभी घन श्याम घटाएँ तड़पत तड़ित प्रचंड। बरसत घोर कभी बस झिमकत झूमत मारुत सङ्ग।। तृषा मिटी जलती जगती की आह्लादित करे पवन। जनजीवन को संकट में... Hindi · कविता 2 544 Share अनुज पाण्डेय 24 Aug 2019 · 1 min read शब्द बाजीगरी है ये कि कैसे हो शब्दों का उपयोग अर्थ अनेकों निकलेंगे जब होगा कोई शब्द प्रयोग। शब्द शब्द के माने बदलें जब बदलें कहने वाले। अच्छा हो तो ठीक... Hindi · कविता 2 334 Share अनुज पाण्डेय 23 Aug 2019 · 1 min read जीवन सत्य सत्य यही है इस जीवन में, तन विशेष, न धन विशेष, इस मानव का जीवन अशेष। पावन पुण्य किये होंगे, जो मानव तन को पाया। धर्म कर्म के साथ समन्वय... Hindi · कविता 3 462 Share अनुज पाण्डेय 23 Aug 2019 · 1 min read वर्तमान स्थिति में मन के भाव छल बल और पाखण्ड का जितना करें प्रयोग, उतना ही वो आगे बढ़े ये कैसा संयोग। तन से मन से धन से करे जितना भी दुष्टाचार दुनिया कहे महान उसे... Hindi · कविता 3 502 Share अनुज पाण्डेय 23 Aug 2019 · 1 min read शिव बारात की झाँकी रूप विरूप महेश धरे जब ठाढ़ि भये हिमवान के आगे। बारात न ऐसी आई कहौं सब बोलत देखन दौड़त भागे। बाराती ऐसे चित्र विचित्र न जाय बतावै काहू को साँचे।... Hindi · कविता 2 625 Share