अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 55 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 13 Oct 2022 · 1 min read बुराई हर युग में बुराई का जड़ से ही विनाश हुआ है, बुरे कर्म का बुरा तत्क्षण ही परिणाम मिला है। रावण, कंस, दुर्योधन का भी अहंकार चूर हुआ, इनके अत्याचारों... Hindi · अच्छाई · अंजनी कुमार शर्मा · कविता · बुराई · बुरे कर्म 1 343 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 13 Oct 2022 · 1 min read मेरी इच्छा मेरी इच्छा है कि मेरे देश का नित विकास हो, हर मानव रहे सुखी और दुख-दर्द का नाश हो, भाईचारा कायम हो, सब मिल करके साथ रहें, देश के दुश्मन... Hindi · कविता · भारत · मेरी इच्छा · विकास · समता 1 408 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 8 May 2022 · 1 min read जीवनदायिनी-माँ माँ, तूने नौ महीने मुझे अपनी कोख में रखा दर्द सहा, कष्ट झेला जन्म देकर मुझे संसार दिखाया मुझे नज़र, बुरी बलाओं से बचाया ममता के आँचल में छिपाया खुद... Hindi · कविता 1 276 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 21 Oct 2020 · 1 min read आज का सच "खून ठंडा हो चुका है इस वक्त पीढ़ियों का, इंसानियत को मिट्टी में गाड़ चुके हैं। नफ़रती बोलियों से फैलाते हैं ज़हर नेता, भाईचारे का पौधा उखाड़ चुके हैं। आकर... Hindi · कविता 2 2 597 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 7 Oct 2020 · 1 min read गम भी भावना है मुस्कुराओ, मुस्कुराना कहाँ मना है ? पर दर्द भी पालना एक भावना है। जिसके ह्रदय में किंचित दर्द का वास नही, वह अपूर्ण मानव इस दुनिया में खास नही। क्या... Hindi · कविता 2 1 430 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 21 Aug 2020 · 1 min read नारी सशक्तिकरण मैं नारी हूँ, पर सदियों से किस्मत की मारी हूँ आज भी किया जाता है प्रताड़ित होती हूँ हवस का शिकार कभी चौराहों पर कभी गलियों में पर दब जाती... Hindi · कविता 4 2 491 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 14 Aug 2020 · 1 min read कान्हा की बंसी बंसी मेरो श्याम की, है गोपिन कौ प्रान। बाजत यमुना तीर पर, मधुर सुनावै तान। मधुर सुनावै तान, राग संत्रास नसावै। नाचत गोपी ग्वाल, मस्त ह्वै कोयल गावै। दृश्य देख... Hindi · कुण्डलिया 3 2 648 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 8 Aug 2020 · 1 min read मुक्तक "न मंदिर से, न मस्जिद से यहाँ इंसान बदलेगा। बढ़ रहा पाप का साम्राज्य, कहाँ शैतान बदलेगा। जब होगी शिक्षा, रोजगार और समता की बातें, यकीनन आयेंगी खुशियाँ और हिंदुस्तान... Hindi · मुक्तक 4 4 444 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 8 Aug 2020 · 1 min read सिया रघुवर आये अवध नगरी सिया-रघुवर आये अवध नगरी..... आज चमकै बिजुरिया औ बरसै बदरी। सिया............। ह्वै प्रसन्न जन नाचै-गावैं। रघुवर जी के दर्शन पावैं। आज जगमग ज्योति जलै सगरी..... सिया...........। कौशल्या, सुमित्रादि महतारी। बरसत... Hindi · गीत 4 8 512 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 15 Jul 2020 · 1 min read नेपाल भूकंप त्रासदी धरती काँपी, अम्बर डोला, पल-भर में हाहाकार मचा। भूमण्डल सारा काँप गया, मानो अम्बर भी निर्द्वन्द हँसा। चल पड़ी प्रलय की वह आँधी, मानव का ह्रदय डोल गया। दिन के... Hindi · कविता 7 5 605 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 15 Jul 2020 · 1 min read पर्यावरण दिवस हे! मानव, प्रकृति के कहर से डर वातावरण में जहर न भर, खुद के स्वार्थ में चलायी कुल्हाड़ी पेड़ो की गरदन पर, काट डाला उन हरे-भरे पेड़ों को जिनकी छांंव... Hindi · कविता 8 6 402 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 15 Jul 2020 · 1 min read मैं हिंदी हूँ मैं हिन्दी हूँ, मै हिन्दी हूँ, हमें आगे जरा लाओ। ऐ मेरे हिन्द के वासी, तुम ना हमसे शरमओं। जो मै सो गई थी नीद में तो अब जगा लो... Hindi · कविता 6 7 416 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 15 Jul 2020 · 1 min read लॉकडाउन में न बाहर जाना लॉकडाउन में न बाहर जाना, घर में रह दिन-रात बिताना। झूठों का मुँह हुआ है काला कौन देता दीनों को निवाला बंद हुआ ऑफिस में ताला बीवी से पड़ गया... Hindi · कविता 5 2 343 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 15 Jul 2020 · 1 min read कोरोना योध्दा तुम्हे सलाम "कोरोना योद्धा तुम्हे सलाम, हम सब बैठे घर के अंदर, तुम करते नित काम। कोरोना योद्धा.... ये कैसी महामारी आयी, सारे जग में व्यथा है छायी, भारत ने बुध्दिमता दिखायी,... Hindi · कविता 4 379 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 15 Jul 2020 · 1 min read कलम की अभिलाषा "चाह नही मैं वैरागी सम, जीव-जगत का सार लिखूँँ। चाह नही मैं प्रेम मिलन की, बातें निराधार लिखूँ। चाह नही देवों की महिमा, और असुरों की हार लिखूँ। चाह नही... Hindi · कविता 6 2 703 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 14 Jul 2020 · 1 min read विनती हे प्रभु! हुई थी क्या हमसे, इतनी भयानक बड़ी भूल। खुशियों की सुंदर बगिया में, बिछा दिए काँटों के फूल। एक साथ विश्व की यह जनता, करती है विनती बार-बार।... Hindi · कविता 6 4 603 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 11 Jul 2020 · 1 min read "बसंत ऋतु" ऋतुराज का हुआ आगमन, झूमे आम, कुसुमित डाली। पीली सरसों लहर रही है, खेतों में है हरियाली। महक उठे हैं गाँव, गली सब, नयी उमंगे हर मन में। हवा बसंती... Hindi · कविता 6 4 852 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 11 Jul 2020 · 1 min read वर्षा ऋतु की छटा निराली वर्षा ऋतु की छटा निराली, बादलों का घोर गर्जन सुन जिसे सिहर उठे तन छा गया पल में अंधेरा, रात हो ज्यों स्याह काली। वर्षा ऋतु की....। झर-झर नभ से... Hindi · कविता 4 6 511 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 22 Jun 2020 · 1 min read वीर जवानों तुम्हे नमन हे! वीर जवानों तुम्हें नमन, करते हम कोटि-कोटि वन्दन। चट्टानों से टकराते हो, तुम देश की आन बचाते हो। जीवन की ना परवाह तुम्हें, बस देश की शान का भान... Hindi · कविता 2 2 670 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 22 Jun 2020 · 1 min read मै बेटी हूँ मैं बेटी हूँ तो क्या मुझको, जीने का अधिकार नहीं मैं क्यों मारी जाऊँ क्या मैं, ईश्वर का उपहार नहीं? मुझसे ही है दुनिया सारी, क्यों करते ये विचार नहीं... Hindi · कविता 3 2 459 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 22 Jun 2020 · 1 min read माँ माँ की ममता का कोई मोल न चुका पाए माँ के आगे तो ईश्वर भी शीश झुकाए माँ के आँचल में संसार के सभी सुख हैं बिना माँ के तो... Hindi · कविता 4 2 621 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 22 Jun 2020 · 1 min read प्यार का जाम तू पिला के देख प्यार का ज़ाम तू पिला के देख अपने सीने से मुझे लगा के देख मैं तेरे ख्वाबों में आ जाऊंगा मुझे एक बार तू बुला के देख शमा बनकर भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 1 496 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 22 Jun 2020 · 1 min read नमक रगड़ते नेता पैरों के घावों में हैं नमक रगड़ते नेता, श्रमिकों का दर्द उन्हे नजर न आता है। भूख प्यास सहकर तन कृषकाय हुआ, उनका हरेक आंसू व्यथा को बताता है। बड़े-बड़े... Hindi · घनाक्षरी 5 2 782 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 20 Jun 2020 · 1 min read मैं पानी हूँ हाँ मैं ही हूँ निर्मल पानी बिन मेरे न जिंदगानी हाँ मैं ही हूँ..................। इस धरा का सार बनकर प्रकृति का उपहार बनकर बहता हूँ मैं धार बनकर वृक्षों का... Hindi · कविता 6 5 357 Share अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित' 15 May 2020 · 1 min read "चलता है मजदूर अकेला" पैरों में पड़ गए हैं छाले धूप में तन हो गए काले पैदल पथ पर बढ़ते जाते कुदरत का कैसा है खेला चलता है मजदूर अकेला। मन व्यथित, तन थका... Hindi · कविता 5 3 357 Share Previous Page 2