अनिल प्रसाद सिन्हा Tag: कविता 23 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अनिल प्रसाद सिन्हा 7 Jun 2021 · 1 min read सावन की फुहारें सावन की फुहारें हो, इक बस तेरा साथ हो, रंजोगम से दूर कहीं, खुशियों की सौगात हो। बँधे रहे हम बाहुपाश में, दूरी ना हो दरम्यान, भीग जाये तन और... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 4 670 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 18 May 2021 · 1 min read हे धरती के पालनहार देर भई बड़ी देर भई, देखो अब ना देर लगाओ, हे धरती के पालनहार, अब अपना रूप दिखाओ। ये कैसी महामारी है, जो हाथ धोकर पीछे पड़ी है, बीच राहों... Hindi · कविता 1 468 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 18 May 2021 · 1 min read ये संकट का पल है टल जाएगा मिटाकर स्याह तिमिर, देखना नया कल आएगा, कोरोना रूपी दानव, सूर्य के ताप से जल जाएगा। अपने हृदय को विह्वल ना कर, तू धीरज तो रख, ग़म ना कर तू,... Hindi · कविता 1 240 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 18 May 2021 · 1 min read अपने चेहरे पर मास्क लगाओ अपनी ज़िंदगी पे ऐ मानव, अरे कुछ तो तरस खाओ, अनमोल है तुम्हारा जीवन, इसे मुफ़्त में ना गंवाओ। ना करो नज़र अंदाज़ इक पल, तुम सतर्क रहो हमेशा, गर... Hindi · कविता 272 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 23 Mar 2021 · 1 min read बेटी की विदाई हे निष्ठुर निर्मोही ईश्वर मेरे, तूने ये कैसी रीत बनाई, अपनी थी मैं जिनके लिए, अब हो गई क्यों पराई। बाबुल तेरे हरी भरी बगिया की, मैं इक कली हूँ,... Hindi · कविता 1 716 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 23 Mar 2021 · 1 min read स्त्री हूँ मैं मैं माँ बहन भार्या हूँ, मेरी नारियों में सम्मान है, जी हाँ स्त्री हूँ मैं, सृष्टिकर्ता ही मेरी पहचान है। पुरुषों को मैंने जन्म दिया, जो पौरुष दिखलाते हैं, बड़े... Hindi · कविता 1 565 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 23 Mar 2021 · 1 min read होली के गुलाल में अब वो रंग कहाँ होली के गुलाल में अब वो रंग कहाँ, नकली चेहरों पर जो रंगों को लगाते हो। तुम्हारे कारनामों को उजागर ना कर दे, रंगों से विभत्स चेहरों को तुम छुपाते... Hindi · कविता 1 371 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 23 Mar 2021 · 1 min read हे रघुनाथ घट घट के वासी हे रघुनंदन दशरथ नंदन, हे रघुनाथ घट घट के वासी, राम लला तेरे दरस को तरसे, हम सभी भारत वासी। सदियों बाद अब पूर्ण हुआ, भारत का जो सपना था,... Hindi · कविता 1 400 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 2 Feb 2021 · 1 min read आधुनिकता के शिकार ?? आधुनिकता के शिकार ?? ना कोई ठौर ना ठिकाना, ना ही घर द्वार है, किसी काम के नहीं हम, ना कोई रोज़गार है। मशगूल हैं ज़िन्दगी में, जानते हम... Hindi · कविता 3 4 354 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 15 Dec 2020 · 1 min read कोरोना बिमारी नहीं महामारी जानें ये कोई भयंकर बिमारी है, या कोई रूष्ट होती दैवीय माया है, चीन के वुहान शहर से आई ये महामारी, या कोई काली छाया है। सम्पूर्ण विश्व में इसका... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 10 38 595 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 14 Dec 2020 · 1 min read बहू है तो बहार है खुशियों से भरा-पूरा हमारा संयुक्त परिवार है, सभी मिलकर रहते सबमें खुशियाँ अपार है, बेटी है घर में तो हरा भरा ये हमारा संसार है, पर यदि हमारे घर में... Hindi · कविता 2 3 641 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 12 Dec 2020 · 2 min read माँ भगवान ने जब खूबसूरत दुनिया बनाई, तो एक नई युक्ति उसके दिमाग में आई। वो हर किसी को खुश नहीं कर सकता, इसलिए उसने एक सुन्दर मूरत बनाई। उस मूरत... Hindi · कविता 2 358 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 12 Dec 2020 · 1 min read मत कर तू अभिमान धन, जन, बल, शिक्षा, पौरुष, गर हो तुम्हारे पास, आम नहीं समझ खुद को, तुम हो बहुत ही खास। पता नहीं है तुझको, पर मुझको है ये एहसास, मत कर... Hindi · कविता 2 329 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 12 Dec 2020 · 1 min read कहर और सियासत क्या कहना ऐसे जालिम लोगों का, जो केवल खोखले दंभ ही भरते हैं, कुदरत का कहर, महामारी जारी है, इसपर भी लोग सियासत करते हैं। मानव रक्षा करना इनका काम... Hindi · कविता 1 406 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 12 Dec 2020 · 1 min read सुख के सब साथी सुख में सब मिलते हैं, सुख में हर कोई है जानता, दुख में दूर-दूर भागते फिरे, कोई नहीं पहचानता। तूती बोलती थी मेरी, सब लोग हूजूम लगाते थे, मेरे एक... Hindi · कविता 3 344 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 12 Dec 2020 · 2 min read तू मुफ्त में मारा जाएगा कान खोलकर सुन लो पाकिस्तान, ये तुम्हारा पिल्ला नहीं बच पाएगा, क्यों भौंकता है पागलों की तरह, एक दिन मुफ्त में मारा जाएगा। बार-बार क्यों ऊँगली करता है, हर बार... Hindi · कविता 2 260 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 12 Dec 2020 · 1 min read आरक्षण तेजोमय प्रतिभावान दीन का, यथोचित स्थान का आभाव हुआ, तत्क्षण निज वतन में, आरक्षण का पूर्णरूपेण प्रादुर्भाव हुआ, आरक्षण की आड़ में जब, लाभार्थियों का कुटिल स्वभाव हुआ, आरक्षण अभिशाप... Hindi · कविता 2 3 265 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 12 Dec 2020 · 1 min read वृद्धाश्रम निज कंधों पर भार उठाते, थामकर ऊँगली जो चलना सिखाते, हर अभिलाषा को पूर्ण करते, मुँह में ग्रास रख मेरी क्षुधा मिटाते। तनिक छींक भी आए बच्चों को तो, आसमान... Hindi · कविता 3 535 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 12 Dec 2020 · 1 min read मातृभाषा हिन्दी हिंदी हिन्दुस्तानी मातृभाषा, संस्कृत सुता कहलाए, मानक, सम्पर्क, राज, राष्ट्र, देवनागरी लिपि बन जाए। स्वर,व्यंजन,अनुस्वार,अनुनासिक, विसर्ग इसे सजाए, रस,छंद,अलंकार युक्त,कर्णप्रिय, मृदुभाषी सम सुहाए। प्रस्फुटित होते शब्द जब, प्रज्वलित करे जस... Hindi · कविता 3 289 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 12 Dec 2020 · 1 min read मैं कलम हूँ मैं कलम हूँ, मुझ पर ही निहित ये संसार है, स्याही मेरा जीवन है, कागज़ मेरा आधार है। मुझसे ही हर प्रतिभा, मुझसे ही व्यभिचार है, मुझसे ही प्रशासन और... Hindi · कविता 3 2 624 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 11 Dec 2020 · 1 min read ज़िन्दगी एक किताब मैं जब देखता हूँ अपनी जिन्दगी को, जिन्दगी एक किताब नज़र आती है, इसके हर एक पन्ने को गौर से देखा, जिन्दगी बेबस लाचार नज़र आती है। इसके कुछ पन्नों... Hindi · कविता 4 8 373 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 11 Dec 2020 · 1 min read जो बीत गया सो बीत गया जो बीत गया सो बीत गया, कुछ खोना है कुछ पाना है, जो पाया उसका हर्ष ना कर, जो खोया नहीं पछताना है। जब हम जिन्दगी में आते हैैं, मोह-माया... Hindi · कविता 4 4 446 Share अनिल प्रसाद सिन्हा 11 Dec 2020 · 1 min read मुझे अब जाने दो अब और कब तक करुँ इन्तज़ार, अब ना रोको मुझे आज जाने दो, अब मुझको अपना फ़र्ज़ निभाने दो, अब ना रोको मुझे आज जाने दो। जीवित रहा तो एक... Hindi · कविता 3 4 293 Share