Amit Pathak 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Amit Pathak 28 Jul 2023 · 1 min read बेहतर है गुमनाम रहूं, बेहतर है गुमनाम रहूं, यूं ही बदनाम रहूं, कर ले लोग अगर मुझसे किनारा खुद में खोया सुबह शाम रहूं। – अमित पाठक शाकद्वीपी Quote Writer 735 Share Amit Pathak 27 Jul 2023 · 1 min read ऐसे लहज़े में जब लिखते हो प्रीत को, ऐसे लहज़े में जब लिखते हो प्रीत को, भावनाएं गा उठती है सुन के उस संगीत को, कभी लेखनी से सृजन करो ऐसा पढ़ कर जो मोह ले अमित को Quote Writer 520 Share Amit Pathak 27 Jul 2023 · 1 min read क्या देखा है मैंने तुझमें?.... क्या देखा है तूने मुझमें (जवाब) ************""*************** लिबाजे हुस्न में एक परी देखी है, हमनें तस्वीर तेरी देखी है । हैं आंखें ये समुंद्र से भी गहरी, हमनें इनमें भी... 343 Share Amit Pathak 27 Jul 2023 · 1 min read है कौन झांक रहा खिड़की की ओट से है कौन झांक रहा खिड़की की ओट से है भला किसे मेरे दीदार की आरजू Quote Writer 444 Share Amit Pathak 27 Jul 2023 · 1 min read मौसम बेईमान है – प्रेम रस रात नशे में है या ये समा ही जवान है तुम हो मैं हूं और मौसम बेईमान है। ढूंढ रहे है हम अपना दिल तेरे दिल के इर्द गिर्द, कोई... Hindi · कविता 551 Share Amit Pathak 26 Jul 2023 · 1 min read तू है एक कविता जैसी तू है एक कविता जैसी ************************* तू है एक कविता जैसी, भाव बोध हजार है, शोभित है यूं शब्द सरस ज्यों, रोम रोम अलंकार है, तू है एक कविता जैसी,... Hindi · Daily Writing Challenge · अमित · कविता 1 1 592 Share Amit Pathak 23 Jul 2023 · 1 min read किसी रोज मिलना बेमतलब किसी रोज मिलना बेमतलब उस दिन सारा हिसाब करेंगे, जल्दबाजी में आते हो चले जाते हो हम फुरसत में सब जनाब करेंगे Quote Writer 486 Share Amit Pathak 21 Jul 2023 · 1 min read कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए कुछ यूं हुआ के मंज़िल से भटक गए रास्ते अच्छे लगे , हम रास्तों में अटक गए Quote Writer 291 Share Amit Pathak 19 Jul 2023 · 2 min read शब्दों का गुल्लक साहित्य संगम बुक्स द्वारा नवीनतम काव्य संकलन *शब्दों का गुल्लक* (आईएसबीएन पंजीकृत) साझा काव्य संग्रह (पेपरबैक प्रिंट पुस्तक) में प्रकाशन के लिए आपकी रचनाएँ सादर आमंत्रित है। *विषय :-* स्वैच्छिक... Hindi · पुस्तकें 449 Share Amit Pathak 11 Jul 2023 · 1 min read जिंदगी की फितरत है शाश्वत कुछ नहीं जग में सबकुछ बदलना पड़ता है कभी तेज दौड़नी होती है रेस कभी देर तक ठहरना पड़ता है कभी बड़े अरमान से करते है कुछ कभी... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 1 268 Share Amit Pathak 11 Jul 2023 · 1 min read दंग रह गया मैं उनके हाव भाव देख कर दंग रह गया मैं उनके हाव भाव देखकर अपने शरीर पर यूँ घाव घाव देखकर अपने भी वैरी होते हैं मुझको न कोई ज्ञान था हमने तो आपको दिया बस... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 1 324 Share