Astuti Kumari 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Astuti Kumari 6 Aug 2023 · 1 min read विकटता और मित्रता काश! ये पल यही थम जाता, कुछ अधूरा चाह परिपूर्ण हो जाता, सफलता — असफलता कटुवार्ता न होता, काश! कुछ जिम्मेदारियों का बोझ कम हो जाता। काश! इस गुजरते लम्हों... Hindi · कविता 3 327 Share Astuti Kumari 11 Sep 2022 · 2 min read प्यारी बहना आज तु इस घर की शान है, कल वहां की मान बन जाएगी। आज तु हक से मांगती है, कल जताने से घबराएगी। आज तु इस घर की बेटी है,... Hindi 3 4 714 Share Astuti Kumari 20 Jan 2022 · 1 min read इश्क़—ए—काशी आसमान की धुंध, अरुणोदय की लाली, गंगा घाट की सोपाने, अनवरत निश्चल बहती गंगा, मंदिर की घंटिका, नाविक की पतवार, चहकती चिड़ियों की नाद, कामुक चंचल हवां, इश्क़—ए—काशी हैं। बाबा... Hindi · कविता 3 5 726 Share Astuti Kumari 18 Jan 2022 · 1 min read रात क्या है? रात जुगनू की बेला है; जिसकी जगमगाहट से ज़मीन पर तारे दिख जाए, रात आनंदोत्सव की आभा है; जिसकी दमक से अमावस विलीन हो जाए, रात सुकून कि चादर है;... Hindi · कविता 2 534 Share Astuti Kumari 17 Sep 2021 · 1 min read वक्त काश! इस जाते हुए वक्त को हम रोक सकते, अपनो के साथ गुज़ारा हर लम्हा जोड़ सकते, न जाने कितनी यादें जो अपनो ने दी हमें, काश! जिंदगी को हम... Hindi · कविता 4 2 386 Share Astuti Kumari 16 Jul 2021 · 6 min read डर एवं डगर डर एक नकारात्मक भावना है।मनोविज्ञान के अनुसार,यह एक जैविक प्रतिक्रिया हैं जो तभी उत्पन्न होता है जब हमारा दिमाग खतरनाक और नुकसान पहुंचाने वाला समझता है, जब हमारे वर्तमान वातावरण... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 8 547 Share Astuti Kumari 12 Jun 2021 · 1 min read कसौटी कसौटी क्या है? परिंदों ने कहा, उड़ान भरना ही कसौटी है। नाविक ने कहा, लहरें चीरना ही कसौटी है। पर्वतों ने कहा, ऊंचाई छूना ही कसौटी है। गुलाब ने कहा,... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 8 447 Share Astuti Kumari 12 Jun 2021 · 1 min read स्त्री चेतन कालचक्र पे आश्रित जीवन, चुनौतियों का है संकलन, गंतव्यता की ओर अग्रसित मन, कर्मयोगी बनने का करता प्रयत्न। क्षण भंगुर उत्कंठित अंतर्मन, सामाजिक बेड़ियों से है गमगीन, बेडिया ; चहारदीवारी... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 4 360 Share Astuti Kumari 12 Jun 2021 · 1 min read स्त्री चेतन कालचक्र पे आश्रित जीवन, चुनौतियों का है संकलन, गंतव्यता की ओर अग्रसित मन, कर्मयोगी बनने का करता प्रयत्न। क्षण भंगुर उत्कंठित अंतर्मन, सामाजिक बेड़ियों से है गमगीन, बेडिया ; चहारदीवारी... Hindi · कविता 6 4 441 Share