अक्षिता खरे "रिमझिम" 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid अक्षिता खरे "रिमझिम" 28 May 2021 · 1 min read "पानी बरसा" पानी बरसा रिमझिम रिमझिम क्यों बैठे हो? गुमसुम-गुमसुम बहते पानी की धारा को यहां वहां हम मोड़ेगे कागज की इक नाव बनाकर बीच धार में छोड़ेंगे और उसी के पीछे... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 5 669 Share