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खुशी देने से मिलती है खुशी और ग़म देने से ग़म,
Ajit Kumar "Karn"
अपने आत्मविश्वास को इतना बढ़ा लो...
Ajit Kumar "Karn"
वास्तव में ज़िंदगी बहुत ही रंगीन है,
Ajit Kumar "Karn"
मेरे साथ जब भी कोई घटना घटती है,
Ajit Kumar "Karn"
इतने अच्छे मौसम में भी है कोई नाराज़,
Ajit Kumar "Karn"
मन दुखित है अंदर से...
Ajit Kumar "Karn"
अक्सर देखते हैं हम...
Ajit Kumar "Karn"
बेशक संघ ने काम अच्छा किया है, आगे भी करेगा।
Ajit Kumar "Karn"
दुनियादारी से कोई लेना - देना नहीं,
Ajit Kumar "Karn"
खोजने लगी वो सुख का खज़ाना,
Ajit Kumar "Karn"
ये जीवन अनमोल है बंदे,
Ajit Kumar "Karn"
बख़ूबी समझ रहा हूॅं मैं तेरे जज़्बातों को!
Ajit Kumar "Karn"
आज कई परेशानियों से घिरा हुआ इंसान।
Ajit Kumar "Karn"
पैसे के बिना आज खुश कोई कहाॅं रहता है,
Ajit Kumar "Karn"
बेटी का घर बसने देती ही नहीं मां,
Ajit Kumar "Karn"
ज़िंदगी से जितना हम डरते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
तीन औरतें बेफिक्र जा रही थीं,
Ajit Kumar "Karn"
ज़िंदगी में बहुत कुछ सीखा है...
Ajit Kumar "Karn"
कितनी उम्मीद है लोगों की हमसे,
Ajit Kumar "Karn"
कुछ अच्छे गुण लोगों को महान बनाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
कुछ ख़ुशनसीब ऐसे हैं जो आगे किस्मत से बढ़ गए!
Ajit Kumar "Karn"
कुछ बड़ा करने का वक़्त आ गया है...
Ajit Kumar "Karn"
कठिन काम करने का भय हक़ीक़त से भी ज़्यादा भारी होता है,
Ajit Kumar "Karn"
आज का युग बेईमान है,
Ajit Kumar "Karn"
पहले की औरतों के भी ख़्वाब कई सजते थे,
Ajit Kumar "Karn"
हर आदमी का आचार - व्यवहार,
Ajit Kumar "Karn"
आज हम ऐसे मोड़ पे खड़े हैं...
Ajit Kumar "Karn"
अरे इंसान हैं हम, भगवान नहीं!
Ajit Kumar "Karn"
हौसलों की उड़ान जो भरते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
ना जाने किस मोड़ पे भाग्य किसी का बदल जाए!
Ajit Kumar "Karn"
वो भी एक समय था जब...
Ajit Kumar "Karn"
किसी अनजाने पथ पर भय जरूर होता है,
Ajit Kumar "Karn"
एक ही ज़िंदगी में कई बार मरते हैं हम!
Ajit Kumar "Karn"
कब तक लड़ते-झगड़ते रहेंगे हम...
Ajit Kumar "Karn"
पिछला वक़्त अगले वक़्त के बारे में कुछ नहीं बतलाता है!
Ajit Kumar "Karn"
हर इंसान के काम का तरीका अलग ही होता है,
Ajit Kumar "Karn"
कुछ लोग बात को यूॅं ही बतंगड़ बनाते हैं!
Ajit Kumar "Karn"
बड़े पद का घमंड इतना ना करो,
Ajit Kumar "Karn"
समय निकल जाएगा,
Ajit Kumar "Karn"
क्यों सताता है रे अशांत मन,
Ajit Kumar "Karn"
कुछ लोग जन्म से ही खूब भाग्यशाली होते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
किताब के किसी पन्ने में गर दर्दनाक कोई कहानी हो
Ajit Kumar "Karn"
प्यार शब्द में अब पहले वाली सनसनाहट नहीं रही...
Ajit Kumar "Karn"
पारिवारिक समस्या आज घर-घर पहुॅंच रही है!
Ajit Kumar "Karn"
मन का चोर अक्सर मन ही बतला देता,
Ajit Kumar "Karn"
हर समय आप सब खुद में ही ना सिमटें,
Ajit Kumar "Karn"
लोग जब सत्य के मार्ग पर ही चलते,
Ajit Kumar "Karn"
कुछ अजूबे गुण होते हैं इंसान में प्रकृति प्रदत्त,
Ajit Kumar "Karn"
परिस्थितियों को चीरते हुए निकल जाओ,
Ajit Kumar "Karn"
दिन - रात मेहनत तो हम करते हैं
Ajit Kumar "Karn"