अजय शुक्ला '' बनारसी '' Language: Hindi 12 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अजय शुक्ला '' बनारसी '' 15 Jul 2017 · 4 min read प्रकृति और विकृति ईश्वर ने सृष्टि का निर्माण किया है और नाना प्रकार के वनस्पतियों , खनिजो , नदी , समुद्र ,पहाड़ इत्यादि संसाधनों का हमें अकूत भंडार दिया है . जिसका गुणगान... Hindi · लेख 1 1k Share अजय शुक्ला '' बनारसी '' 13 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ देश की मिला कंधे से कंधा कुंठित धारणाओ को तोड़ कंटक भरे राह को कर सुगम बड़ी लड़ाई लड़ लड़कर विश्व में परचम लहरा रही है बेटियाँ देश की माँ , बहन... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 557 Share अजय शुक्ला '' बनारसी '' 9 Jan 2017 · 1 min read भारतीयता मानता हूँ इन्सान कमियों का पुतला है अपने विचार से किसी को नीचा न दिखाएँ धस जाओगे खुद उस दलदल में जहाँ आपके विचार आपको पंहुचाये वाणी और चेतन से... Hindi · कविता 481 Share अजय शुक्ला '' बनारसी '' 10 Aug 2017 · 1 min read वन्दे मातरम सावन का अंधा हूँ हर ओर हरा नज़र आएगा, माँ से प्यार करता हूँ देशद्रोहियो को नही भायेगा उन्हें शर्म आती है भारत को भारत माँ कहने पर भगत और... Hindi · कविता 1 1 475 Share अजय शुक्ला '' बनारसी '' 10 Aug 2017 · 2 min read पत्नी का पिता अनुभव पाया मैंने मेरे अंतर्मन के कहने में ये कैसी अनुभूति हुई पत्नी के पिता बनने में पत्नी का पिता ? प्रश्नचिन्ह सा आया ना मन मे मैं भी थोड़ा... Hindi · कविता 1 470 Share अजय शुक्ला '' बनारसी '' 11 Jul 2017 · 1 min read पाकीज़ा मोहब्बत लिख कर खत तूने,कहीँ तो छुपाया होगा सपनो में ही सही,मुझे अपना बनाया होगा हम नज़रो से ही बाते करते रह गए तूने भी मेरी तरह रातो को जलाया होगा... Hindi · कविता 468 Share अजय शुक्ला '' बनारसी '' 7 Jan 2017 · 1 min read आदमी बीत गए वो लम्हे अतीत के पन्नो पर कुछ छाप छोड़ गए कुछ मीठी यादे कुछ रिश्ते तोड़ गए यकीं होना किसी के होने का यह अनुभव ज़रा कठिन है... Hindi · कविता 394 Share अजय शुक्ला '' बनारसी '' 6 Jan 2017 · 1 min read गरीबी जिस तरह शाख से टूटकर पेड़ की पाती समय के साथ सूख जाती है नाव कैसी भी हो मगर नाविक पथ भूले तो मंझधार में डूब जाती है गरीबो के... Hindi · कविता 281 Share अजय शुक्ला '' बनारसी '' 9 Jul 2017 · 1 min read असर नफरतो के असर दिखाई दे रहे है हर तरफ कहर दिखाई दे रहे है असर क्या हुआ जश्ने आज़ादी का लाशो के शहर दिखाई दे रहे है गाँव की मिट्टी... Hindi · कविता 280 Share अजय शुक्ला '' बनारसी '' 27 Jan 2017 · 1 min read दीवार प्यार के गारे को लेकर सद्भावना के ईंट से मै दीवार बनाता हूँ ये मेरा पेशा है साहब मै मकाँ बनाता हूँ दीवारे बनाना भी कभी नेक काम होता है... Hindi · कविता 1 287 Share अजय शुक्ला '' बनारसी '' 7 Jan 2017 · 1 min read पत्थर गाँव से गुजरने वाले रास्ते का पत्थर जो दिखने में है सिर्फ एक पत्थर जो है किसी की याद दिलाता रोता है चिल्लाता है लोगो को है रुलाता किसी ने... Hindi · कविता 252 Share अजय शुक्ला '' बनारसी '' 12 Jul 2017 · 1 min read पाकीज़ा मोहब्बत लिख कर खत तूने,कहीँ तो छुपाया होगा सपनो में ही सही,मुझे अपना बनाया होगा हम नज़रो से ही बाते करते रह गए तूने भी मेरी तरह रातो को जलाया होगा... Hindi · कविता 219 Share