Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash) Language: Hindi 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash) 29 Jan 2023 · 1 min read मदारीवाला सिंदूरी ढलता हुआ मार्तंड थका हरा सोने जा रहा चिड़ियों की चहचही से गूंज उठा कलनाद उधर खेतों से खेतिहर भी आ रहा एक अजब सी पसरी शांति कुछ ही... Hindi · कविता 3 1 192 Share Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash) 29 Dec 2022 · 1 min read हो गया कोई फलसफा हो गया कोई फलसफा या कोई हादसा कल जो तुम ख्वाबों में न आए तबसे आंखें सोई ही नहीं अब तक हैं खफा-खफाl Hindi · Memoir 2 1 162 Share Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash) 14 Dec 2022 · 1 min read भूख एक शब्द संवेदना की अतिशयोक्ति या भावों का परम शिखर जिसकी अभिव्यक्ति, शून्य जो झंझोड़ता है अंतर्मन को। फफकते रक्त की पिपासा कुंठित कंठ की अभिलाषा संकुचित भौहों की तड़प... Hindi · Poem 3 205 Share Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash) 9 Oct 2022 · 1 min read लिखूं?? भूखे की भूख लिखूं या रोटी की कहानी लिखूं बारिश का बचपन लिखूं या गर्मी की जवानी लिखूं फूलों की खुशबू लिखूं या भौरों की शैतानी लिखूं वरक पे रख... Hindi · कविता 2 174 Share Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash) 12 Sep 2022 · 1 min read तेरी याद आती है तेरी याद साथ में कुछ हसीन झलकियां कुछ बारिश से लम्हें कुछ तन्हाई की अठखेलियां वो नूर-ए चेहरे की सादगी मुस्कुराती आंखों की अदायगी ज़ालिम जुल्फों का तुम्हें... Hindi · कविता 1 170 Share Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash) 26 Mar 2022 · 1 min read गत वर्ष से नववर्ष तक सालों का सिलसिला चला उठकर यादों का काफिला चला चूपचाप सूरज ढला गुमशुम शाम हुई सर्द रात सोई सपनों का बादल पिघला तुम बदले,हम बदले हवा,धूप,माटी,नीर सबमें नयापन है... Hindi · कविता 2 211 Share Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash) 15 Dec 2021 · 1 min read दिल और आंख आंखों की बातें दिल समझता है आंखों से तीर सीधे दिल को लगता है आंख भरी हो न तो दिल रोता है आंखें जागती है जब दिल बेचैन होता है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 243 Share Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash) 13 Dec 2021 · 1 min read अश्रु ये जल की चंद बूंदें नहीं हैं जो निर्बाध प्रवाहमान हैं ये तो स्पष्ट परिणाम हैं हृदय के कंटक व्यथा का मन के करूण कथा का अधरों के अधीरपन का... Hindi · कविता 1 313 Share Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash) 12 Dec 2021 · 1 min read पन्नें पन्ने पलट रहे हैं हल्की हवा से यूं कहें तो, पन्ने खुल रहे हैं चरागों के रोशनी से ये पन्ने, नूर दे रहे उस अंधेरी आंख को बड़ी ढीठ हैं... Hindi · कविता 1 410 Share