Tag: ग़ज़ल
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बस्ती जलते हाथ में खंजर देखा है,
ज़ैद बलियावी
दर्स ए वफ़ा आपसे निभाते चले गए,
ज़ैद बलियावी
"रात यूं नहीं बड़ी है"
ज़ैद बलियावी