विजय कुमार नामदेव Tag: ग़ज़ल/गीतिका 29 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विजय कुमार नामदेव 9 May 2020 · 1 min read रोटी डाला करते थे किस्मत पर ही सबकुछ टाला करते थे। हम कर्मो का रोज़ दीवाला करते थे।। यार गधों से जीत न पाए लेकिन हम। घर में ही झाला घोटाला करते थे।। अपनों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 267 Share विजय कुमार नामदेव 12 Jul 2019 · 1 min read आदमी कितना कुछ आदमी के अंदर है। आदमी क्या कोई कलंदर है।। नए शहरों में नया कुछ भी नही। हर जगह एक सा ही मंजर है।। तिश्नगी थी कभी इन होठों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 308 Share विजय कुमार नामदेव 10 Jul 2018 · 1 min read ये करोगे दर्द दोगे। ये करोगे।। अच्छा रसघट। तुम भरोगे।। प्यार में तुम। क्या मरोगे।। पास हम,तुम। दूर होगे।। ख़्वाब है ये। संग चलोगे। क्या कहूँ मैं। क्या कहोगे।। विजय मेरे। तुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 347 Share विजय कुमार नामदेव 29 Mar 2018 · 1 min read ज़ज़्बा जब-जब तुमसे मिला करेंगे। प्यार की रब से दुआ करेंगे।। तेरा दामन रहे चमकता। दीपक बनकर जला करेंगे।। हौसला जब तक है जज्बों में। ख्वाब हृदय में पला करेंगे।। गैरों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 296 Share विजय कुमार नामदेव 27 Dec 2017 · 1 min read रिश्ता उनसे रिश्ता उनसे रोज़ निभाना पड़ता है। शाम ढले घर लौट के जाना पड़ता है।। धीरे धीरे सबको अच्छा लगता है। पहले तो माहौल बनाना पड़ता है।।। रोज़ हमें दो जून... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 286 Share विजय कुमार नामदेव 21 Dec 2017 · 1 min read लिखो समस्या दर्द भरी अब ग़ज़ल ना लिख। सबकुछ लिख वो पल ना लिख।। लिखना है तो लिखो समस्या। लेकिन उसका हल ना लिख।। मेरे खातिर रोने वाली। उन आँखो में जल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 457 Share विजय कुमार नामदेव 17 Dec 2017 · 1 min read ज़िन्दगी जिन्दगी जलने लगी है इन सुखों की छांव में। चैन ओ अमन तो आये अपने बूढ़े गांव में।। शहर में सुख सब मिले पर मन परेशां ही रहा। गांव में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 558 Share विजय कुमार नामदेव 10 Nov 2017 · 1 min read बाज़ार लगता है मैं कुछ अच्छा कहूं तो भी तुझे बेकार लगता है। ये एक दो बार नहीं रे तुझको तो हर बार लगता है।। मैं दिल से तो नहीं कहता फ़क़त मेरा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 556 Share विजय कुमार नामदेव 16 Oct 2017 · 1 min read बहिन जी प्रगति पथ पर बढ़ो बहिन जी। शिखर सब ऊँचे चढ़ो बहिन जी।। बैठे-बैठे कब क्या होगा। पड़े-पड़े मत सड़ो बहिन जी भाई का भी नाम न डूबे। चौके-छक्के जड़ो बहिन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 722 Share विजय कुमार नामदेव 4 Sep 2017 · 1 min read ठीक नही खूब चाहा हमसे पर होता नही। उसके दिल में अपना घर होता नही।। मैं तेरा सर काँधे पे रखता सनम। इस पे गर ये मेरा सर होता नही।। हर किसी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 302 Share विजय कुमार नामदेव 10 Jun 2017 · 1 min read सच कहकर अपने मन को यूं ही मत भरमाओ जी।। गीत वफ़ा के एक दफ़ा तो गाओ जी।। खूब चलाओ गोली सीमा पर जाकर।। पर किसान पर गोली नही चलाओ जी।। दिन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 370 Share विजय कुमार नामदेव 28 May 2017 · 1 min read दफ्तर यहां पल रहे अस्तीनों में विषधर यहां। अपनों को ही निकलते अजगर यहां।। क्या तमाशा देखिए इनका तमाशा। लड़ते हैं आपस में बाजीगर यहां।। दोस्तों किसको सुनाये राज ए दिल। दिलों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 243 Share विजय कुमार नामदेव 20 May 2017 · 1 min read पांव में जिंदगी जलने लगी है इन सुखों की छांव में। चैनो-अमन हम छोड़ आए अपने बूढ़े गांव में। शहर में सुख सब मिले पर मन परेशा ही रहा। गांव में गम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 782 Share विजय कुमार नामदेव 7 May 2017 · 1 min read हमदम मद्धम मद्धम। ज्यादा या कम।। दस्तक देता। कोई हमदम।। इतना प्यारा। जैसे शबनम।। तुम मेरे तो। फिर कैसा गम।। विजय परेशां। हरपल हमदम।। 9424750038 Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 282 Share विजय कुमार नामदेव 17 Apr 2017 · 1 min read आंखे दो आंखों की जेल में उसकी हम गिरफ्तार रहे हैं। एक जमाने से इस दिल में वो सरकार रहे हैं।। पूछ रहे हो मुझसे तुम क्या तुमने प्यार किया है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 383 Share विजय कुमार नामदेव 15 Apr 2017 · 1 min read यादों के जंगल यादों के जंगल आने दो। साथ बिताये पल आने दो।। समस्याएं बहुत गिनाई। अब तो इनका हल आने दो।। आंसू आह दर्द को छोड़ो। मेहंदी अरु काजल आने दो।। खुशियां... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 371 Share विजय कुमार नामदेव 14 Apr 2017 · 1 min read बरहम सी ज़िन्दगी बरहम सी जिंदगी है सँवार दो तो अच्छा है। दर्द दिया ठीक किया करार दो तो अच्छा है।। मैंने तुझसे जिंदगी में और क्या चाहा खुदा बस। प्यार भरी जिंदगी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 709 Share विजय कुमार नामदेव 9 Apr 2017 · 1 min read दिखता है और क्या-क्या ना यार दिखता । प्यार अब इश्तिहार दिखता है।। पढ़े-लिखे गुलाम अपढ़ो के। देश सारा बिहार दिखता है।। दूर हो तुम तो मुझको यह। शहर मच्छी बाजार दिखता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 584 Share विजय कुमार नामदेव 8 Apr 2017 · 1 min read चिठ्ठियां इन दोस्तों ने कितनी लिखायी थी चिठ्ठियां उनकी सहेलियों को भी भायी थी चिठ्ठियां।। पेड़ों पे फूल पत्तों सी आई गई मगर। उसने ना अब तलक वो जलाई थी चिठ्ठियां।।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 427 Share विजय कुमार नामदेव 4 Apr 2017 · 1 min read जान के दुश्मन जान के दुश्मन मन में रहकर पलते हैं मेरे दीये तेरी यादों से जलते हैं दोस्त जिन्हें इल्म मैं तेरा आशिक हूं तेरे नाम की देके दुहाई छलते है अपने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 350 Share विजय कुमार नामदेव 21 Mar 2017 · 1 min read राम से ेशर्म की कलम से हर चमन और हर कली के नाम से, हैं आज कल कुछ रोज से बदनाम से प्यार क्या कैसी वफ़ा क्या हसरतें, चीज सब मिलती हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 353 Share विजय कुमार नामदेव 18 Mar 2017 · 1 min read हज़ल हज़ल। भूरे लोग करिया लोग। तपे हुए है सरिया लोग।। ज्यादा शान दिखाते अक्सर। दिखने वाले मरिया लोग।। बीती बातें सिखलाती हैं। बने ना दिल से दरिया लोग।। नकल पश्चिची... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 422 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2017 · 1 min read दो लफ्ज़ बेशर्म की कलम से दो लफ्ज़ प्यार के दो लफ्ज़ प्यार के गर मेरे नाम लिख देते। तुम्हारे नाम ये किस्सा तमाम लिख देते।। सुबह की धूप सी तुम एक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 668 Share विजय कुमार नामदेव 19 Feb 2017 · 1 min read ख्वाब शशि के बेशर्म की कलम से ख्वाब शशि के कहने को अपवाद रहा हूँ। पर आंसू सा रोज बहा हूँ।। अंधियारी जीवन रजनी में। ख्वाब शशि के देख रहा हूँ।। कितनी बार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 625 Share विजय कुमार नामदेव 18 Feb 2017 · 1 min read आ रहे है बेशर्म की कलम से आ रहे हैं दिन दिन निखरते जा रहे हैं।।। क्या अच्छे दिन आ रहे हैं। अपने घर का गेहूं जाने। किस चक्की पर पिसा रहे हैं।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 575 Share विजय कुमार नामदेव 16 Feb 2017 · 1 min read दूर नही बेशर्म की कलम से मुझसे दोनों जहान दूर नही। दोस्त अब आसमान दूर नही।। कुछ और पढ़ लो इश्क़ के पन्ने। प्यार का इम्तिहान दूर नही।। जो भी कहना है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 475 Share विजय कुमार नामदेव 14 Feb 2017 · 1 min read ठाठ रहे रे बेशर्म की कलम से बुंदेली पुट अरे कछु ने कर रय हैं सब घिरया के धर रय हैं।। पुलिया सड़क गिट्टी को पैसा। ठूंस - ठूंस के भर रय हैं।।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 559 Share विजय कुमार नामदेव 4 Feb 2017 · 1 min read बाँट रहे रे बेशर्म की कलम से अब ना अपने ठाठ रहे रे। निज जख्मों को चाट रहे रे।। कलतक जो मेरे अपने थे। वो ही मुझको डांट रहे रे।। क्रीम पावडर के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 519 Share विजय कुमार नामदेव 2 Feb 2017 · 1 min read शाम डरते हुए बेशर्म की कलम से शाम डरते हुए रोज कितने मुख़ौटे लगाता हूँ मैं। हर रिश्ते को दिल से निभाता हूँ मैं।। तुम जिन्हें चाँद तारे या सूरज कहो। उनको शाला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 460 Share