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मत पूछ यहाँ आलम क्या है
Vijay Yadav
अंधेरों ने दिखाया है, उजालों ने छुपाया है
Vijay Yadav
जब से उसकी नज़रों का मैं निशाना बना
Vijay Yadav
इस बार कचहरी लगने दो
Vijay Yadav
विजय का पर्व है पावन, हमे मिल कर मनाना है
Vijay Yadav
तेरे चेहरे पे जो निखार है
Vijay Yadav
यूं होके रूसवा क्यों चल दिये तुम
Vijay Yadav
भूख रोती है, तिलमिलाती है
Vijay Yadav