Tag: कविता
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जब से उसकी नज़रों का मैं निशाना बना
Vijay Yadav
विजय का पर्व है पावन, हमे मिल कर मनाना है
Vijay Yadav
तेरे चेहरे पे जो निखार है
Vijay Yadav
यूं होके रूसवा क्यों चल दिये तुम
Vijay Yadav
भूख रोती है, तिलमिलाती है
Vijay Yadav