Vijay Yadav Tag: कविता 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Vijay Yadav 31 Oct 2016 · 1 min read जब से उसकी नज़रों का मैं निशाना बना जब से उसकी नज़रों का मैं निशाना बना, तबसे उसकी गली में मेरा आना जाना बना। खुदा की रौशनी ज़मीं पे कोई नूर है वो, है जन्नतों से उतर आई... Hindi · कविता 268 Share Vijay Yadav 31 Oct 2016 · 1 min read विजय का पर्व है पावन, हमे मिल कर मनाना है विजय का पर्व है पावन, हमे मिल कर मनाना है, असूरता पर विजय श्री राम की है ये बताना है, मगर ये पर्व होगा तब सफल जब ठान लोगे तूम,... Hindi · कविता 414 Share Vijay Yadav 31 Oct 2016 · 1 min read तेरे चेहरे पे जो निखार है तेरे चेहरे पे जो निखार है-२ , ये कह रहा है तुझको प्यार है। तेरे चेहरे पे जो निखार है.......... तेरी आँखों में जो चमक रहा-२ , मैं जनता हूँ... Hindi · कविता 529 Share Vijay Yadav 31 Oct 2016 · 1 min read यूं होके रूसवा क्यों चल दिये तुम यूं होके रूसवा क्यों चल दिये तुम, जो हम न बोले वो सुन गये तुम। तुम्हारे जैसा मिला था कोई, हमारे जैसा जो सोचता था, मेरे खयालों के इस जहाँ... Hindi · कविता 321 Share Vijay Yadav 21 Sep 2016 · 1 min read भूख रोती है, तिलमिलाती है भूख रोती है, तिलमिलाती है, सूखे होंठों को ये जलाती है, अपनी बेचैनी के सभी किस्से, झांक कर आँखों से दिखाती है। भूख रोती है, तिलमिलाती है।। कौन सा मजहब... Hindi · कविता 801 Share