शेखर खागड़ी Tag: दोहा 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid शेखर खागड़ी 29 Jul 2018 · 1 min read माँ जीवन के उलझे डोरों को जब तुम ना समेट पाओ, तब डोर के एक छोर को मां को थमा देना। दुख के उठते बवंडर को जब तुम ना समेट पाओ,... Hindi · दोहा 2 497 Share