Sonit Bopche 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sonit Bopche 24 Feb 2017 · 1 min read सौ सवाल करता हूँ.. सौ सवाल करता हूँ.. रोता हूँ..बिलखता हूँ.. बवाल करता हूँ.. हाँ मैं.......... सौ सवाल करता हूँ.. फिर भी लाकर उसी रस्ते पे पटक देता है.. वो देकर के जिंदगी का... Hindi · कविता 1 1 312 Share Sonit Bopche 23 Feb 2017 · 1 min read क्या दोष तुम्हें दूँ तुम ही कहो.. क्या दोष तुम्हें दूँ तुम ही कहो.. क्या दोष तुम्हें दूँ तुम ही कहो.. इस रिश्ते की बुनियाद हिलाने की शुरुआत तो मैंने की थी.. छुपकर तुमसे और किसी से... Hindi · कविता 633 Share Sonit Bopche 20 Feb 2017 · 1 min read इन नजरों से देखो प्रियवर..पार क्षितिज के एक मिलन है.. इन नजरों से देखो प्रियवर पार क्षितिज के एक मिलन है धरा गगन का प्यार भरा इक मनमोहक सा आलिंगन है.. पंछी गान करे सुर लय में नभ की आँखें... Hindi · कविता 562 Share Sonit Bopche 12 Feb 2017 · 1 min read ग़ज़ल II हमनजर हो जाइए या हमसफ़र हो जाइए हमनजर हो जाइए या हमसफ़र हो जाइए... आज हमसे मिल के अब शाम-ओ-सहर हो जाइए... तेरे बिन चारों तरफ कैसा अँधेरा छा गया... इस अँधेरी रात में आ दोपहर हो... Hindi · कविता 302 Share Sonit Bopche 10 Feb 2017 · 1 min read सिलवटें जाती नहीं.. नींद भी आती नहीं.. रात भी जाती नही.. कोशिशें इन करवटों की.. रंग कुछ लाती नहीं.. चादरों की सिलवटों सी हो गई है जिंदगी.. लोग आते.. लोग जाते.. सिलवटें जाती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 258 Share Sonit Bopche 10 Feb 2017 · 2 min read || दहेजी दानव || बेटा अपना अफसर है.. दफ्तर में बैठा करता है.. जी बंगला गाड़ी सबकुछ है.. पैसे भी ऐठा करता है.. पर क्या है दरअसल ऐसा है.. पैसे भी खूब लगाए हैं..... Hindi · कविता 463 Share Sonit Bopche 1 Feb 2017 · 1 min read यादें शांत समुद्र.. दूर क्षितिज.. साँझ की वेला.. डूबता सूरज.. पंछी की चहक.. फूलों की महक.. बहके से कदम.. तुझ ओर सनम.. उठता है यूँ ही.. हर शाम यहाँ.. यादों का... Hindi · कविता 246 Share Sonit Bopche 29 Jan 2017 · 1 min read आज तन पर प्राण भारी आज तन पर प्राण भारी मन हुआ स्वच्छन्द जैसे तोड़ सारे बंध जैसे देह की परिधि में सिमटे अब नहीं यह रूह सारी आज तन पर प्राण भारी लोक क्या... Hindi · कविता 292 Share Sonit Bopche 26 Jan 2017 · 1 min read वो हिन्द का सपूत है.. लहू लुहान जिस्म रक्त आँख में चड़ा हुआ.. गिरा मगर झुका नहीं..पकड़ ध्वजा खड़ा हुआ.. वो सिंह सा दहाड़ता.. वो पर्वतें उखाड़ता.. जो बढ़ रहा है देख तू वो हिन्द... Hindi · कविता 301 Share Sonit Bopche 21 Jan 2017 · 1 min read चल अम्बर अम्बर हो लें.. चल अम्बर अम्बर हो लें.. धरती की छाती खोलें.. ख्वाबों के बीज निकालें.. इन उम्मीदों में बो लें.. सागर की सतही बोलो.. कब शांत रहा करती है.. हो नाव किनारे... Hindi · कविता 248 Share Sonit Bopche 18 Jan 2017 · 2 min read ऊंचाई की कीमत अब मुझको बढ़ जाना है ऊपर तक चढ़ जाना है बेल बोलती बरगद तेरी संगत में पड़ जाना है पंछी तुझसे बातें करते बादल करते तुझे सलाम चूं-चूं चीं-चीं खट... Hindi · कविता 538 Share