Shruti Rastogi Tag: कविता 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shruti Rastogi 18 Sep 2017 · 1 min read उलझे रिश्ते शुरू करूँ किस कलम से, मैं लिखना अपनी गुस्ताखियाँ । अब तो इन्तजार करती रहती हैं , रक्षाबन्धन पर राखियाँ ।। सीधे-साधे भोले-भाले, रिश्ते जलेबी बन गये । महज कुछ... Hindi · कविता 846 Share Shruti Rastogi 18 Sep 2017 · 1 min read सरकार पढ़ा लिखा कभी बेकार जाता नहीं । फिर भी पढ़ लिख कर बेकार हूँ मैं ।। रोजगार हो कर भी खाली खाली हूँ । किससे कहूँ ! क्या बेरोजगार हूँ... Hindi · कविता 320 Share