सतीश तिवारी 'सरस' Tag: कुण्डलिया 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सतीश तिवारी 'सरस' 21 Jan 2017 · 1 min read तीन कुण्डलिया छंद (१) मेरे-तेरे में लगा,क्यों कर के साहित्य. दिखे न अब उर का सरस,लेखन में लालित्य. लेखन में लालित्य,कहाँ से आये भैया. रहा व्यक्ति को पूज,आज का काव्य-खिवैया. कह सतीश कविराय,ह्रदय... Hindi · कुण्डलिया 1 414 Share सतीश तिवारी 'सरस' 7 Jun 2017 · 1 min read एक कुण्डलिया छंद वाह-वाह की भूख भी,होती बड़ी विचित्र। मगर कभी कहते नहीं,जाने क्यों निज मित्र।। जाने क्यों निज मित्र,दिखाते मुझे अँगूठा। देते उसका साथ,जो दिल से पक्का-झूठा।। कह सतीश कविराय,हुई कम उम्र... Hindi · कुण्डलिया 1 330 Share सतीश तिवारी 'सरस' 26 Jun 2017 · 1 min read नहीं जगाना चाह.... अन्तर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस (26 जून) प्रसंग पर (तीन कुण्डलिया छंद) (1) करता नाशी चित्त की,नशा सुनिश्चित मीत। बीड़ी अरु सिगरेट से,कभी न करना प्रीत।। कभी न करना प्रीत,और मत... Hindi · कुण्डलिया 1 344 Share सतीश तिवारी 'सरस' 26 Jun 2017 · 1 min read पिता आपकी याद में... पिता पर केन्द्रित तीन कुण्डलिया छंद (1) पिता आपकी याद में,गुज़रें दिन अरु रात। किन्तु आपके बिनु मुझे,कुछ भी नहीं सुहात।। कुछ भी नहीं सुहात,भोज का स्वाद न भाये। सब... Hindi · कुण्डलिया 1 632 Share सतीश तिवारी 'सरस' 17 Aug 2018 · 1 min read अटल जी के प्रति..... अश्रु आ रहे आँख में,दुख उर में भर आय। गया छोडकर के हमें,जो कैदी कविराय।। जो कैदी कविराय,नाम था अटलबिहारी। राष्ट्रभक्ति थी मीत,जिसे ख़ुद से भी प्यारी।। कह सतीश कविराय,लोग... Hindi · कुण्डलिया 1 323 Share सतीश तिवारी 'सरस' 16 Feb 2024 · 1 min read कुण्डलिया छंद (1) औरों को दें मान वह,अपनों को दुत्कार। बनी रीति क्यों आजकल,बोलो मेरे यार।। बोलो मेरे यार,प्यार का क्योंकर टोटा। सच्चा है गुमनाम,पूज्य है क्यों अब खोटा।। कह सतीश कविराय,पदक... Hindi · कुण्डलिया 1 66 Share सतीश तिवारी 'सरस' 17 Jan 2017 · 1 min read एक कुण्डलिया परम्परा को तोड़ना,नव-पीढ़ी की रीत. जो कुछ गाया जा सके,वही कहाये गीत. वही कहाये गीत,सहज में जो आ जाये. अनपढ़ भी सुन बन्धु,जिसे निज लय में गाये. कह सतीश कविराय,हो... Hindi · कुण्डलिया 349 Share सतीश तिवारी 'सरस' 23 Feb 2017 · 1 min read तीन कुण्डलिया (१) आ़यी जीवनसंगिनी,नहीं अब तलक यार. जाने कब देगा सरस,दुलहिन इक करतार. दुलहिन इक करतार,माँगती रहती माता. मिलेगी या न यार,प्रश्न यह दिल में आता. कह सतीश कविराय,उदासी मन में... Hindi · कुण्डलिया 550 Share सतीश तिवारी 'सरस' 12 Mar 2017 · 1 min read होली उत्सव प्रसंग पर... तीन कुण्डलिया छंद (1) बहे बसंती पवन ले,अपने उर में प्यार. कोयल गाकर कह रही,सरस करो सत्कार. सरस करो सत्कार,पर्व यह प्रेम-भाव का. होवे सच की जीत,शमन होवे दुराव का.... Hindi · कुण्डलिया 459 Share सतीश तिवारी 'सरस' 22 Mar 2017 · 1 min read तीन कुण्डलिया छंद (1) सच को मैं जो थामता,उतने हों वो दूर. अहंकार में ख़ुद रमें,हमें कहें मगरूर. हमें कहें मगरूर,चूर नफ़रत में रहते. स्वयं साधते स्वार्थ,स्वार्थी हमको कहते. कह सतीश कविराय,जाये ज्यों... Hindi · कुण्डलिया 410 Share