Sandeep Kumar Sharma Tag: कविता 6 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sandeep Kumar Sharma 18 Aug 2017 · 1 min read मजदूरों के बच्चे मजदूरों के बच्चे पूरा दिन गगनचुंबी इमारतों में धमाल करते हैं शाम होते ही लौट आते हैं झोपड़ी की जमीन पर। रुंआसे से चेहरे वाले बच्चे अजीब नजरों से देखते... Hindi · कविता 339 Share Sandeep Kumar Sharma 12 Jul 2017 · 1 min read ...वो तुम जैसी सांझ तुम्हारी तरह ही सुरमई, निर्मल, आभा का आंचल खिसकाती ये सांझ, अक्सर बहुत शरमाती है ये अक्सर बातें करने से कतराती है बचती है कोई कह न दे मन की... Hindi · कविता 464 Share Sandeep Kumar Sharma 6 Jul 2017 · 1 min read --- मैं खिल उठूंगी तुम्हारी छुअन से ...ओ प्रियतम, सुनो ना...। तुम्हारी छुअन के बिना मैं कैसी सूख सी गई हूं। तुम मुझे यूं ऐसे बिसरा गए हो कि अब कहीं मन नहीं लगता। ये तन, ये... Hindi · कविता 1 1 590 Share Sandeep Kumar Sharma 5 Jul 2017 · 1 min read बारिश तुम्हें आना होगा सूखती जा रही हैं उम्मीदें सूखती जा रही हैं फसलें सूखती जा रही हैं कोपलें सूखता जा रहा है मन सूखते जा रहे हैं भरोसे सूखते जा रहे हैं रास्ते,... Hindi · कविता 337 Share Sandeep Kumar Sharma 5 Jul 2017 · 1 min read तुम्हारा साथ तुम्हारा साथ मेरे लिए वैसे ही है जैसे प्रकृति के लिए बारिश की बूंदें धरती के लिए बारिश की आस आसमां के लिए घनघोर घटा सूर्य के लिए सांझ सुबह... Hindi · कविता 612 Share Sandeep Kumar Sharma 4 Jul 2017 · 1 min read यूं ही तैरते रहो मेरे मन आंगन में तुम मेरे अरमानों जैसे हो, तुम मेरी जिंदगी के तरानों जैसे हो, तुम मन जैसी मुस्कानों जैसे हो, तुम तपिश में बदली वाले आसमान जैसे हो, तुम उन्मुक्त हो, स्वच्छंद... Hindi · कविता 366 Share